कोलन इंफेक्शन (Colon Infection) के कारण बॉलिवुड के दिग्गज अभिनेता इरफान खान का निधन हो गया है। इरफान करीब दो साल से भी अधिक समय से न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर से जूझ रहे थे और पूरी हिम्मत के साथ इस बीमारी से बाहर आ रहे थे। लेकिन पिछले दिनों उन्हें कोलन इंफेक्शन यानी मलाशय में संक्रमण की समस्या हुई और इसी के चलते उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया, जहां उन्होंने आखिरी सांस ली।
क्या होता है कोलन?
कोलन यानी मलाशय हमारे शरीर में पाचन तंत्र का ही हिस्सा होता है। जब हम भोजन ग्रहण करते हैं तो हमारा शरीर भोजन को पचाने के बाद लिक्विड और हार्ड मटीरियल को अलग-अलग कर देता है। यह काम आंतों में होता है। इसके बाद वेस्ट मटीरियल कोलन में जमा होता है और मल के रूप में बाहर आता है।
कॉलन में इंफेक्शन के प्रारंभिक लक्षण
जब कोलन में बैक्टीरिया, सूजन या अन्य किसी वजह से संक्रमण होता है तो शुरुआती स्तर पर कब्ज, पेट दर्द, गैस, थकान, ऊर्जा की कमी और मल त्याग करते समय दिक्कत होती है।
क्यों होता कोलन में इंफेक्शन?
आमतौर पर कोलन में इंफेक्शन ऐसा भोजन लेने के कारण होता है, जिसे पचाने में हमारे पाचन तंत्र को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। या जो भोजन हमारे शरीर में ठीक से पच नहीं पाता। इस तरह का वेस्ट फूड हमारे कोलन में जमा होने लगता है, साथ ही पचाने के प्रयास के दौरान जो रासायनिक तत्व हमारे पाचनतंत्र में बने थे, वे भी कोलन में अलग-अलग फॉर्म में जमा होकर उसको नुकसान पहुंचाने लगते हैं।जब स्थिति अधिक गंभीर होती है तो कोलन में बलगम या कफ जमा हो जाता है और मल त्याग करते समय होनेवाली दिक्कतें बढ़ने लगती हैं।
इस तरह रखें कोलन को साफ
कोलन को साफ रखने के लिए सबसे पहले जरूरी है कि आप पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं। साथ ही अलग-अलग तरह के पेय पदार्थों का सेवन मौसम और समय के अनुसार करें। जैसे, दूध, दही, छाछ, नींबू पानी इत्यादि। इससे कोलन को साफ करने और पाचन को दुरुस्त रखने में मदद मिलती है।
फाइबर युक्त भोजन
कोलन की सफाई के लिए जरूरी है कि आप अपनी डायट में फाइबर युक्त भोजन को जरूर शामिल करें। ऐसा करने से पाचन तंत्र ठीक रहता है, शरीर को पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा मिलती है और शरीर को सभी पोषक तत्व प्राप्त होने के बाद वेस्ट को मल के रूप में निकालने में आसानी होती है। इससे कोलन की नियमित सफाई होती रहती है।
-खिचड़ी का सेवन कोलन की सफाई के लिए काफी लाभदायक होता है। खासतौर पर मूंग की छिलकेवाली दाल का सेवन और मूंग दाल की खिचड़ी का सेवन पाचन तंत्र और कोलन की सेहत के लिए बहुत अधिक लाभकारी होता है।
क्या होता है न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर?
-न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर एक ऐसी स्थिति होती है, जिसमें न्यूरॉकोन्ड्रिया के सेल्स में ट्यूमर विकसि होने लगता है। यह ट्यूमर धीरे-धीरे विकसित होकर शरीर के दूसरे अंगों में भी फैलना शुरू कर देता है।
-इस तरह के ट्यूमर में सबसे दुख और चिंता की बात यह होती है कि इस बीमारी के शुरुआती लक्षण किसी भी तरह मरीज के अंदर नहीं दिखाए पड़ते हैं। इसलिए इस बीमारी के बारे में पेशंट को अचानक ही पता चलता है।
-और जब शरीर में इस बीमारी के लक्षण आने शुरू होते हैं तो ये इस बात पर अधिक निर्भर करते हैं कि यह ट्यूमर शरीर के किस हिस्से के न्यूरॉकाइन्ड्रिया में विकसित हुआ है।
-हालांकि इस बीमारी के कुछ केसेज पेशंट्स में त्वचा में संवेदनशीलता की कमी और ब्लड शुगर का घटना-बढ़ना देखा जाता है।
इलाज से जुड़ी बात
-न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर का इलाज भी इसके लक्षणों के आधार पर इसी बात पर निर्भर करताहै कि यह ट्यूमर शरीर के किस हिस्से में हुआ है।
-इसी आधार पर निर्णय लिया जाता है कि इसके लिए सर्जरी की जाएगी, कीमोथेरपी कब होगी या रेडिएशन के जरिए रोग को दूर करने की संभावना बन रही है या नहीं।