बिना ट्रैन चले सुविधा शुल्क से 22 लाख रुपए रोज कमा रहा रेलवे,

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    भोपाल। कोरोना संकट के दौर में रेलवे टिकट बेचकर रोजाना सवा लाख लोगों से 15 व 30 रुपये कमा रहा है। ये रुपये सुविधा शुल्क के नाम पर लिए जा रहे हैं। वह भी तब जब 15 अप्रैल से ट्रेनों के चलने पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। ये टिकट भारतीय रेलवे का इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पाेरेशन (आईआरसीटीसी) बेच रहा है, जो रेलवे का ही उपक्रम है।

    एक से दूसरी जगह जाने की उम्मीद में लोग भी सुविधा शुल्क देकर ऑनलाइन टिकट बुक करवा रहे हैं, यदि ट्रेनें नहीं चली तो इन्हें घर बैठे नुकसान होगा। जबकि, रेलवे और आईआरसीटीसी को फायदा होगा। इस सुविधा शुल्क के नाम पर देश भर से रेलवे रोज 22 लाख रुपये कमा रहा है।

    रेल मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि उसने 15 अप्रैल से यात्री ट्रेनों के परिचालन की कोई योजना जारी नहीं की है और इस बारे में बाद में फैसला लिया जाएगा। रेलवे ने ट्वीट के माध्यम से कहा कि मीडिया में खबरें आई थीं कि रेलवे ने कोरोना वायरस के कारण यात्री ट्रेनों को 21 दिन तक स्थगित करने के बाद 15 अप्रैल से अपनी सभी सेवाएं बहाल करने की तैयारी शुरू कर दी है।

    ऐसे लगते हैं 15 व 30 रुपये
    ट्रेन में स्लीपर श्रेणी का टिकट खरीदने पर 15 रुपये, एसी श्रेणी का ऑनलाइन टिकट खरीदने पर 30 रुपये सुविधा शुल्क चुकाना पड़ता है।