नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खाद्यान्न पैकेजिंग के नियमों में ढील देते हुए किसानों को गेहूं की पैकिंग के लिए पॉलिमर से तैयार बारियां इस्तेमाल की अनुमति दी है। देशभर में लॉकडाउन के कारण जूट मिलें बंद होने की वजह से यह फैसला किया गया है। इस बीच मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब और हरियाणा में गेहूं की सरकारी खरीदी शुरू हो गई है। पैकिंग के लिए पॉलिमर की अनुमति देने का मकसद गेहूं किसानों के हितों की रक्षा करना है, क्योंकि अप्रैल के मध्य तक गेहूं की फसल कटकर तैयार होने की संभावना है।
मंत्रालय के अनुसार लॉकडाउन की अवधि खत्म होने के बाद जैसे ही जूट मिलों में बोरों का उत्पादन शुरू हो जाएगा, खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए जूट के बोरों को ही प्राथमिकता दी जाएगी। मंत्रालय के अनुसार उच्च घनत्व वाली पॉलीथीन या पॉलीप्रोपीलीन (एचडीपीपी/पीपी) की सीमा पहले के 1.80 लाख गांठ से बढ़ाकर 2.62 लाख गांठ बैग कर दिया गया है।
रबी फसलों के लिए बोरियों की जरुरत
केंद्र सरकार ने खाद्यान्न की 100 फीसदी पैकेजिंग के लिए जूट बैग को अनिवार्य कर रखा है। अनाज की पैकेजिंग मुख्य रूप से जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (जीपीएम) 1,987 के तहत जूट की बोरियों में ही की जाती है। यह कदम इसलिए उठाया गया है कि रबी फसलों की कटाई को देखते हुए भारी मात्रा में खाद्यान्न की पैकेजिंग के लिए बोरों की जरूरत है, जबकि कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन चल रहा है, जिसके कारण जूट मिलें जूट बोरियों का उत्पादन नहीं कर पा रही है, लिहाजा गेहूं किसानों को परेशानी से बचने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।
एफसीआई ने वैकल्पिक अनुमति मांगी थी
मंत्रालय ने सभी जूट उगाने वाली राज्य सरकारों को जूट के उत्पादों के साथ ही इनकी आवाजाही, बिक्री और आपूर्ति को भी अनुमति देने के लिए लिखा है, ताकि लॉकडाउन के दौरान किसानों की मदद की जा सके। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए राज्य सरकारों की खरीद एजेंसियों के साथ मिलकर खाद्यान्न की खरीद करती हैं, ने सरकार को लिखा था कि लॉकडाउन के कारण जूट मिलें जरुरत के हिसाब से बोरे तैयार करने में असमर्थ हैं इसलिए सरकार मुसीबत के समय में हस्तक्षेप कर वैकल्पिक उपाय की अनुमति दे।