नयी दिल्ली। कोरोनावायरस के खिलाफ लड़ाई में फंड की कमी न आए, इसलिए सरकार ने वेतन के बाद सांसदों के अलग-अलग भत्तों में भी 30% कटौती का फैसला किया है। इसके बाद सांसदों को भत्ते के रूप में हर महीने मिलने वाली राशि में से 27 हजार रुपए कम मिलेंगे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन (संशोधन) से जुड़े अध्यादेश को भी मंगलवार को मंजूरी दे दी।
लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय ने भी इससे जुड़ी अधिसूचना जारी कर दी। इससे पहले, सांसदों को हर महीने मिलने वाले एक लाख रुपए के वेतन में से भी 30% यानी 30 हजार रुपए की कटौती का फैसला किया गया था।
सांसदों के वेतन में कटौती से जुड़े अध्यादेश के दायरे में प्रधानमंत्री, कैबिनेट के सदस्य और सभी सांसद आएंगे। यह अध्यादेश सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन से संबंधित अधिनियम,1954 में संशोधन के लिए लाया गया है और संसद के अगले सत्र में इसके लिए कानून बनाया जाएगा। इस अध्यादेश में सांसद निधि को दो साल के लिए स्थगित कर इसकी राशि को भी देश के कंसोलिडेटेड फंड में रखने के सरकार के फैसले को मंजूरी दी गई है।
स्टेशनरी के लिए मिलने वाले भत्ते में 6 हजार रुपए की कटौती
उधऱ, सरकार के साथ बातचीत के बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने सांसदों को हर महीने मिलने वाले 70 हजार रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ते में से 30 फीसद कटौती करने की सिफारिश की है। यह रकम 21 हजार रुपए है। सरकार ने कहा है कि एक अप्रैल, 2020 से 31 मार्च, 2021 तक हर सांसद को अब निर्वाचन भत्ते के रूप में 49 हजार रुपए मिलेंगे।
हर सांसद को कार्यालय भत्ते के रूप में 60 हजार रुपया महीना मिलता है। इसमें स्टेशनरी के लिए 20 हजार रुपए भी शामिल हैं। इसमें 6 हजार रुपए की कटौती की जाएगी। इसके बाद हर सांसद को स्टेशनरी भत्ते के रूप में 14 हजार रुपए ही मिलेंगे।
निजी सहायक के लिए मिलने वाले भत्ते में कटौती नहीं
सांसदों को निजी सहायक भत्ते के रूप में मिलने वाले 40 हजार रुपए में किसी तरह की कटौती नहीं की गई है। लोकसभा के स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ने जेपीसी की सिफारिशें स्वीकार कर ली हैं। यह कटौती 1 अप्रैल से अमल में आ जाएगी। सांसद (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता) संशोधन नियम, 2020 के तहत यह कटौती की गई है।