नई दिल्ली। कोरोनावायरस के भारतीय बाजार में भी मंदी मार पड़ने लगी हैं। इसी के कारण देश में वनस्पति तेल की मांग में गिरावट आने लगी है। दशकों में पहली बार इसमें गिरावट देखने को मिलेगी। कोरोना वायरस के कारण केंद्र सरकार को 21 दिन का लॉकडाउन के चलते देशभर में रेस्टोरेंट्स बंद हो गए हैं। इसका सीधा असर खाद्य तेल की मांग पर पड़ा, जिससे इसकी मांग में गिरावट आने लगी है।
खाद्य तेल के दुनिया के सबसे बड़े आयातक भारत में खाद्य तेल की खपत में पिछले कुछ सालों में बेतहाशा वृद्धि के चलते पिछले दो दशकों से अधिक समय में तिगुनी हो गई है। ज्यादातर ट्रेड और इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का मानना है कि भारत की वनस्पति तेल की मांग, मूल रूप से पाम ऑयल और सोया ऑयल की मांग पिछले साल के 23 मिलियन टन के मुकाबले गिर जाएगी।
कुछ डीलर्स का कहना है कि लॉकडाउन के कारण देश की खपत कम से कम एक तिमाही तक गिर सकती है। एक प्रमुख वेजिटेबल ऑयल आयातक सनविन ग्रुप के चीफ एग्जिक्यूटिव संदीप बजोरिया ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान खाद्य तेल की मांग 475,000 टन गिर जाएगी।’
एक महीने में 19 लाख टन खाद्य तेल की खपत
भारतीयों की खपत एक महीने में 19 लाख टन खाद्य तेल की है। देश के कुल वेजिटेबल ऑइल आयात में दो-तिहाई हिस्सा पाम ऑयल का आता है। भारत अपनी वेजिटेबल ऑइल जरूरत का करीब दो-तिहाई आयात करता है। बजोरिया के मुताबिक, मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे पाम ऑयल उत्पादक देश भारत की मांग के अनुसार अपने आउटपुट को कम कर सकते हैं।