नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण परेशानियों से जूझ रहे कारोबारियों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को मार्च, अप्रैल तथा मई महीने के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की डेडलाइन आगे बढ़ाकर 30 जून, 2020 कर दी है। उन्होंने यह भी कहा कि पांच करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने में देरी पर कोई विलंब शुल्क, जुर्माना अथवा ब्याज नहीं लिया जाएगा।
सीतारमण ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संवाददताओं को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि पांच करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाली कंपनियों के मामले में 15 दिन के भीतर जीएसटी रिटर्न दाखिल करने पर कोई विलंब शुल्क और जुर्माना नहीं लिया जाएगा। ऐसे मामलों में देरी होने पर 9 प्रतिशत की घटी दर पर ब्याज लगाया जाएगा। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर भी इस अवसर पर उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि सबसे पहले जो भी वैधानिक और नियामकीय अनुपालन संबंधी दिक्कतें हैं, सरकार की तरफ से उन्हें दूर करने के कदम उठाए गए हैं।
आयकर रिटर्न 2018-19 के लिए भी डेडलाइन बढ़ी
वर्ष 2018-19 की आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम समय-सीमा को 30 जून तक बढ़ा दिया गया है। देरी से रिटर्न दाखिल करने के मामले में विलंब शुल्क को 12 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत किया गया है। इसी प्रकार कारोबारियों के लिए स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) को 30 जून 2020 तक जमा कराने पर 9 प्रतिशत की घटी दर से विलंब शुल्क लिया जाएगा। इसमें किसी प्रकार की समय-सीमा नहीं बढ़ाई गई है, लेकिन देरी से जमा पर ब्याज दर को 18 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत किया गया है।
वैधानिक अनुपालन तिथियां बढ़ीं
कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय से जुड़े कंपनियों के विभिन्न वैधानिक अनुपालन की तिथियों को भी 30 जून, 2020 तक आगे बढ़ा दिया गया है। अपील दायर करने, नोटिस जारी करने तथा अन्य अनुपालनों की समय-सीमा बढ़ाई गई है। कंपनियों की बोर्ड मीटिंग करने की अनिवार्यता में भी छह माह की राहत दी गई है। नई कंपनियों को कारोबार शुरू करने की जानकारी छह माह में देनी होती है, उन्हें इसके लिए छह माह का और समय दिया गया है।