कोटा। केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह ने चंबल पर बने बांधों सहित देश के पुराने बांधों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा, देश में ऐसा आयोग बनना चाहिए जो बांधों की सुरक्षा की चिंता करें। कोटा में बाढ़ के समय चंबल के बांधों की स्थिति को लेकर सिंह ने कहा, पिछली बारिश में बहुत चिंताजक हालात सामने आए। वे रविवार को कोटा प्रवास पर पत्रकारों से रूबरू हो रहे थे।
उन्होंने बताया कि जब गांधी सागर के सभी गेट खोले गए और पानी तेजी से बढ़ा उस समय वे वायु मार्ग से दिल्ली आने वाले थे, तभी उन्हें सूचना मिली कि गांधी सागर टूट सकता है। उस समय दिल्ली पहुंचने तक का दो घंटे का समय बहुत चिंता में निकला। दिल्ली पहुंचते ही मध्यप्रदेश और राजस्थान सरकार से इस बारे में बात की। वे खुद महसूस करते हैं कि बांधों की सुरक्षा पर बहुत ध्यान देने की जरूरत है। देश में छोटे-बड़े 5 हजार 800 से ज्यादा बांध हैं।
उन्होंने बताया कि 70 के दशक के अंत में गुजरात के मोरवी में हुए बांध हादसे के बाद देश में इस तरह का प्रोटोकॉल बनना जरूरी हो गया है कि जिससे बांधों की सुरक्षा हो। बांधों की आयु बढ़ रही है। 20 प्रतिशत से ज्यादा बांध 70 साल से ज्यादा पुराने हैं और 50 प्रतिशत बांध ऐसे हैं जिनकी आयु 50 साल से ज्यादा हो गई है। बांधों की सुरक्षा के लिए प्रोटोकॉल बने यह अत्यंत आवश्यक है।
‘सीएए के मामले में जिम्मेदारों ने भ्रम फैलाया
सीएए को लेकर केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह ने रविवार को कोटा में कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक का इस कानून से कोई संबंध नहीं है। संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों ने भ्रम फैलाकर जिस तरह की झूठ को पांव पर चलाने का प्रयास किया है ये अच्छा नहीं है। सीएए के विरोध में मुख्यमंत्रियों ने खुद मोर्चे निकाले और समाज को बांटने काम किया। आने वाली पीढ़ी इनसे सवाल करेगी।
बार के लिए यह व्यवस्था की है। केवल 2014 तक जो भारत आए गए उन्हें 11 साल के बजाय 5 साल में नागरिकता दी जा रही है। अकेले जोधपुर में 25 हजार लोग रहते हैं, उन्हें वापस जाने की कहते हैं मेरे घर पर आकर रोते हैं, कहते हैं आप चाहे तो फांसी चढ़ा दो पर नरक में वापस मत भेजो। सिंह ने कहा, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने लिए यह कानून लाया गया है। इन तीन देशों के अल्पसंख्यक प्रताडि़त हो रहे हैं, उनके साथ अन्याय हुआ है। उन्हें राहत देने के लिए यह कानून लाया गया है।