कोटा। स्मार्ट सिटी कम्पनी की ओर से स्मार्ट सिटी की मूल परियोजनाओं में बदलाव करने से केन्द्र सरकार नाखुश है। इस कारण राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्तावों को मंजूरी नहीं दी गई है। प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद स्मार्ट सिटी के कोटा में चल रहे आधा दर्जन प्रोजेक्ट निरस्त कर दिए गए।
नए सिरे से विकास कार्यों के प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार के शहरी मंत्रालय को भेजे गए, लेकिन मंजूरी नहीं मिली। इस प्रोजेक्ट में केवल दशहरा मैदान के प्रथम चरण का काम, ई-लाइब्रेरी आदि के काम ही पूरे हुए हैं। दशहरा मैदान के दूसरे और तीसरे चरण के कामों में भी संशोधन किया गया है। इस कारण प्रस्ताव अटके पड़े हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत कोटा का चयन सितम्बर 2016 में हुआ था। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 1456 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवाने थे। मूल प्रस्ताव में शहर के मध्य 1300 एकड क्षेत्र में रिट्रोफिटिंग के तहत विभिन्न कार्य करवाने थे।
इसमें जेके पेवेलियन क्षेत्र से किशोर सागर तालाब, कोटड़ी तालाब, दशहरा मैदान, कोचिंग सिटी इत्यादि सम्मिलित थे। इसके साथ ही कच्ची बस्ती विकास की योजना भी सम्मिलित था। इसमें कोटड़ी तालाब, स्मार्ट रोड, नालों का सौंदर्यीकरण, स्मार्ट इंटीग्रेटेड ट्रांसपोर्ट सिस्टम आदि प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। जल प्रबंधन का काम जदलाय विभाग से छीनकर नगर विकास न्यास को दे दिया गया है।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट केन्द्र सरकार का है। राज्य सरकार प्रोजेक्ट को क्रियान्वित करने वाली एजेंसी है। इसलिए मूल परियोजनाओं के प्रस्तावों में बदलाव नहीं किया जा सकता। केन्द्र की मंशा के अनुरूप ही कार्य आगे बढ़ेंगे। स्मार्ट सिटी कम्पनी व राज्य सरकार की ओर से कोटा में स्मार्ट सिटी के तहत जो भी काम हो, उनके केन्द्र स्तर पर चर्चा की जाए।
इस कारण अटके
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में दशहरा मैदान के दूसरे और तीसरे चरण का काम शुरू नहीं हुआ है। फेज दो में सेन्ट्रल पार्क आदि में बदलाव के प्रस्ताव थे, इस कारण अटके हुए हैं। सरकार के स्तर पर ही इस संबंध में निर्णय होगा।
केएम शर्मा, अधिशासी अभियंता, स्मार्ट सिटी कम्पनी