कोटा। 10 जनवरी को साल 2020 पहला ग्रहण लगने जा रहा है। इस बात को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि 2019 का अंत सूर्य ग्रहण के साथ हुआ और साल 2020 का आरंभ चंद्र ग्रहण से हो रहा है तो इसका कुछ अशुभ प्रभाव होगा। पंडित देवेंद्र प्रतिहस्त के अनुसार 10 जनवरी को लगने जा रहे साल के पहले चंद्र ग्रहण को लेकर आपको कोई चिंता करने की जरूरत ही नहीं है।
दरअसल देखा जाए तो यह कोई चंद्र ग्रहण ही नहीं है। यह तो मात्र उपछाया चंद्र ग्रहण है। किसी भी अच्छे पंचांग को उठाकर देख लीजिए या अच्छे ज्योतिषी से पूछ कर देख लीजिए तो वह आपको बताएंगे कि उपछाया चंद्र ग्रहण को शास्त्रों में ग्रहण की श्रेणी में नहीं रखा गया है।
यही वजह है कि चंद्र ग्रहण लगने पर जहां सूतक का विचार किया जाता है वहीं उपछाया चंद्र ग्रहण पर सूतक का विचार नहीं होता है। इस दौरान ना तो मंदिरों के कपाट बंद किए जाते हैं और ना धार्मिक कार्य करने की मनाही होती है। आप सामान्य दिनों की तरह इस दिन भी सभी काम कर सकते हैं।
आइए जानें क्या होता है उपछाया चंद्र ग्रहण
चंद्रग्रहण के होने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहा जाता है। इसके बाद वह पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करती है। जब ऐसा होता है तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।