खुदरा महंगाई 16 माह के उच्च स्तर पर, कर्ज महंगा होने की आशंका

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नई दिल्ली। सितंबर में ही 14 महीने के ऊपरी स्तर पर जा पहुंची खुदरा महंगाई की दर अक्टूबर में और बढ़कर 4.62 फीसदी पर पहुंच गई, जो गत 16 महीने का ऊपरी स्तर है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के आधार पर मापी जाने वाली खुदरा महंगाई दर सितंबर में 3.99 फीसदी थी। एक साल पहले अक्टूबर 2018 में खुदरा महंगाई की दर 3.38 फीसदी थी।

बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक खाद्य कीमतों में भारी बढ़ोतरी के कारण खुदरा महंगाई की दर में बेतहाशा बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इससे पहले जून 2018 में खुदरा महंगाई की दर 4.92 फीसदी रही थी। खुदरा महंगाई की दर में इतनी अधिक बढ़ोतरी से बैंकों के लोन की ब्याज दर बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।

खाद्य महंगाई 7.89 फीसदी
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत आने वाले केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा बुधवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक खाद्य सेगमेंट की खुदरा महंगाई दर अक्टूबर 2019 में 7.89 फीसदी रही। यह दर सितंबर में 5.11 फीसदी थी। पिछले महीने सब्जियों की महंगाई दर 26.10 फीसदी पर पहुंच गई, जो सितंबर में 5.40 फीसदी थी। फलों की महंगाई दर 4.08 फीसदी रही, जो सितंबर में 0.83 फीसदी थी।

मांस-मछली की कीमत 9.75 फीसदी बढ़ी
इस दौरान अनाजों की महंगाई दर2.16 फीसदी, मांस व मछली की महंगाई दर 9.75 फीसदी, अंडे की महंगाई 6.26 फीसदी और दाल व दलहन उत्पादों की महंगाई दर बढ़कर 11.72 फीसदी पर पहुंच गई। ईंधन और बिजली के मद में कीमतों में हालांकि 2.02 फीसदी की गिरावट आई। सितंबर में भी इनकी कीमतें 2.18 फीसदी कम दर्ज की गई थीं।

आरबीआई बढ़ा सकता है मुख्य ब्याज दर
ताजा महंगाई दर आरबीआई के चार फीसदी के सुविधाजनक दायरे से ऊपर है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को खुदरा महंगाई दर दो फीसदी घट-बढ़ की गुंजाइश के साथ औसत चार फीसदी के आसपास बनाए रखने की जिम्मेदारी मिली है। आरबीआई दोमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में मोटे तौर पर खुदरा महंगाई और विकास दर के आंकड़े को ध्यान में रखकर ही अपनी मुख्य ब्याज दर तय करता है।

महंगाई यदि बढ़ती है और यदि विकास दर की रफ्तार अच्छी रहती है, तो आरबीआई ब्याज दर बढ़ाकर महंगाई को कम करने की कोशिश करता है। महंगाई में भारी बढ़ोतरी को देखते हुए यदि आरबीआई अपनी ब्याज दर बढ़ाने का फैसला करता है, तो इसका सीधा असर बैंकों की ब्याज दर पर पड़ेगा और वे दरें भी बढ़ेंगी। ऐसे में होम लोन और ऑटो लोन या अन्य प्रकार के लोन के लिए चुकाई जाने वाली मासिक किस्तों में भी बढ़ोतरी हो जाएगी।