नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के राम मंदिर-बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन पर अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने विवादित जमीन पर रामलला का अधिकार बरकरार रखते हुए इसे राम जन्मभूमि न्यास को सौंपने का आदेश दिया है। बेंच ने सर्वसम्मति से विवादित जमीन पर निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि पुरातत्व विभाग की ओर से दिए गए सबूतों के आधार पर यह तय हो जाता है कि मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था, बल्कि इसका निर्माण मंदिर के ढांचे पर किया गया है। हालांकि, पुरातत्व विभाग ने यह नहीं बताया कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर तोड़ा गया था।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास को दी जाएगी तथा सुन्नी वक्फ को बोर्ड अयोध्या में ही पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराई जाई। गर्भगृह और मंदिर परिसर का बाहरी इलाका राम जन्मभूमि न्यास को सौंपा जाए। पीठ ने कहा है कि विवादित स्थल पर रामलला के जन्म के पर्याप्त साक्ष्य हैं और अयोध्या में भगवान राम का जन्म हिन्दुओं की आस्था का मामला है और इस पर कोई विवाद नहीं है।
राम मंदिर निर्माण के लिए 3 माह में ट्रस्ट बनाए सरकार
सुप्रीम कोर्ट अयोध्या जमीन विवाद मामले में राम जन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन देते हुए कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन महीने में सरकार योजना बनाए। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि ट्रस्ट के गठन में निर्मोही अखाड़े को भी थोड़ा प्रतिनिधित्व दिया जाए। यह ट्रस्ट उत्तर प्रदेश सरकार के साथ मिलकर मंदिर निर्माण पर फैसला ले। केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार मंदिर, मस्जिद निर्माण की निगरानी करेंगे।
ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद मामले इस बात को माना कि ढांचा गिराना कानून व्यवस्था का उल्लंघन था। कोर्ट ने कहा कि आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक नहीं दिया जा सकता। अपना फैसला पढ़ते हुए अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। अदालत ने माना कि वहां पहले मंदिर था। एएसआई की रिपोर्ट को वैध माना और कहा कि खुदाई में जो मिला वह इस्लामिक ढांचा नहीं था। फैसला पढ़ते हुए शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज कर दी है। अदालत की पीठ ने यह फैसला सर्वसम्मति से लिया।