नई दिल्ली। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बाबरी मस्जिद के ढांचे के नीचे मंदिर होने के सबूत मिले थे। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि सबूत बताते हैं कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी और खुदाई में मस्जिद के नीचे गैर-इस्लामिक ढांचा मिला है। कोर्ट ने कहा कि एएसआई की रिपोर्ट के मुताबिक मस्जिद के नीचे 12वीं सदी के मंदिर के सबूत मिले थ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिंदू अयोध्या में भगवान राम का जन्मस्थान मानते रहे हैं, उनकी धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम उसे बाबरी मस्जिद करते हैं। यहां हिंदुओं का यह विश्वास कि भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था, इस पर कोई विवाद नहीं है।
कोर्ट ने कहा, इतिहास बताता है अयोध्या में था जन्मस्थान
शीर्ष अदालत ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि हिंदुओं का विश्वास और आस्था है कि भगवान राम का जन्म स्थान गुंबद के नीचे है। आस्था व्यक्ति विश्वास का मसला है। कोर्ट ने कहा कि मामले को आस्था और विश्वास के आधार पर नहीं बल्कि दावों के आधार पर तय किया जा सकता है। ऐतिहासिक तथ्य इस बात के प्रमाण देते हैं कि अयोध्या में ही भगवान राम का जन्मस्थान था।
बाहरी परिसर पर पहले से हिंदू पक्ष का कब्जा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि सीता रसोई और राम चबूतरे की पूजा हिंदू अंग्रेजों के आने के पहले से करते रहे हैं। रेकॉर्ड्स से पता चलता है कि विवादित परिसर के बाहरी हिस्से पर हिंदू पक्ष का कब्जा था।
CJI बोले, एएसआई की रिपोर्ट पर नहीं उठा सकते सवाल
आपको बता दें कि मुस्लिम पक्ष के वकीलों ने सुनवाई के दौरान एएसआई की रिपोर्ट पर यह कहते हुए सवाल उठाया था कि पुरातत्व विभाग के निष्कर्ष अनुमानों पर आधारित होते हैं और इन्हें वैज्ञानिक नहीं माना जा सकता। फैसले की शुरुआत में शीर्ष अदालत ने सबसे पहले बाबरी मस्जिद पर शिया वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ‘हम धर्म शास्त्र में नहीं जा सकते, तथ्य यही है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने कराया था।’
अदालत को आस्था और विश्वास स्वीकार करना होगा
चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अदालत को लोगों की आस्था और विश्वास को स्वीकार करना होगा। कोर्ट को संतुलन बनाए रखना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में एएसआई की रिपोर्ट को खारिज नहीं किया जा सकता।