नई दिल्ली। यदि आप सेवानिवृत्ति तक ईपीएफ निवेश से एक भी पैसा नहीं निकालते हैं, तो सेवानिवृत्ति के बाद जो रकम आपको मिलती है, वह पूरी की पूरी राशि टैक्स फ्री हो जाती है। लेकिन यहां यह भी जानना जरूरी है कि यदि आप सेवानिवृत्ति के बाद ईपीएफ खाते में पैसे निकालने में देरी करते हैं, तो सेवानिवृत्ति के बाद आपकी पूंजी पर जो ब्याज मिलता है, उस पर टैक्स लगता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि टैक्स छूट सिर्फ कर्मचारियों के लिए है। यदि कर्मचारी नौकरी छोड़ देता है या सेवानिवृत्त हो जाता है, तो वह कर्मचारी नहीं रहता है। इसलिए उसके द्वारा कमाए गए ब्याज पर उसे टैक्स देना होता है।
ईपीएफ खाते में निवेश के हैं अनेक लाभ
ईपीएफ पर मिलने वाला ब्याज बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट से अधिक होता है। यही नहीं, ईपीएफ में हर साल 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर आयकर कानून-1961 की धारा 80सी के तहत टैक्स कटौती का लाभ भी मिलता है। हालांकि इस निधि पर जो ब्याज मिलता है, वह पांच साल के बाद ही टैक्स फ्री होता है।
ईपीएफ खातें कितना करना होता है निवेश
वेतनभोगी व्यक्ति को अपने वेतन का कम से कम 12 फीसदी अंश कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते में जमा करना होता है। वह जिस कंपनी की नौकरी करता है, वह कंपनी भी उतनी ही रकम उसके ईपीएफ खाते में जमा करती है।
कर्मचारी यदि चाहे तो अपना पूरा वेतन ईपीएफ खाते में जमा कर सकता है। लेकिन कंपनी 12 फीसदी तक ही योगदान अपनी तरफ से करती है। इस प्रकार से बने कोष पर ब्याज मिलता है। ब्याज दर सरकार हर साल तय करती है। 2018-19 के लिए यह ब्याज दर 8.65 फीसदी तय किया गया है।
क्या सेवानिवृत्ति के बाद भी ईपीएफ पर मिलता है ब्याज
रिटायरमेंट के बाद या नौकरी छोड़ने के बाद आम तौर पर लोग संचित पूंजी की निकासी नहीं करते हैं या फिर इसे निकालने में देरी करते हैं। खाताधारकों के इस तरह के व्यवहार को हतोत्साहत करने के लिए ईपीएफओ ने 2011 में ऐसे खातों में ब्याज देना बंद कर दिया था, जो तीन साल से अधिक समय से संचालन में नहीं हैं।
हालांकि 2016 में नियम बदल गया। ईपीएफओ ने कहा कि निष्क्रिय खातों में भी तब तक ब्याज मिलता रहेगा, जब तक खाताधारक 58 साल का नहीं हो जाता है। लेकिन खाताधारक के सेवानिवृत्त हो जाने के बाद यदि खाता निष्क्रिय हो जाता है, तो ऐसे खाते में ब्याज नहीं डाला जाएगा।