अब ऑर्बिटर पर टिकीं उम्मीद , यही बताएगा लैंडिंग के वक्त क्या हुआ

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बेंगलुरू। 48 दिन की सफल यात्रा के बाद चंद्रयान-2 अपने आखिरी टेस्ट में फेल हो गया और लैंडिंग के बाद विक्रम लैंडर से संपर्क टूट गया। ISRO को यह भी नहीं पता कि विक्रम लैंडर से बाहर निकल कर चंद्रमा की सतह पर चलने वाले प्रज्ञान रोवर का क्या हुआ है? अब वो ऑर्बिटर सबसे अहम हो गया है जो चांद की सतह से करीब 140 किमी ऊपर परिक्रमा कर रहा है। यह ऑर्बिटर एक साल तक ऐसे ही चक्कर लगाकर जानकारियां जुटाएगा।

वैज्ञानिकों के मुताबिक, लैंडिंग के वक्त विक्रम लैंडर के साथ क्या हुआ, इसकी सही-सही जानकारी ऑर्बिटर ही दे सकता है। अब इसरो को ऑर्बिटर से मिलने वाली तस्वीरों की प्रतिक्षा है। हो सकता है कि वैज्ञानिक ऑर्बिटर को जल्द से जल्द उस स्थान पर लाने की कोशिश करें, जहां विक्रम लैंडर की नाकाम लैंडिंग हुई है।

बहुत बड़ी उपलब्धि है यह
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक बार मान लिया जाए कि विक्रम लैंडर पूरी तरह क्रैश हो गया, तो भी यह चंद्रमा के बारे में बहुत कुछ बता सकता है। लैंडर के गिरने से चंद्रमा की सतह पर हलचल हुई होगी, मिट्टी बाहर निकली होगी, यह सब ऑर्बिटर के लिए अध्ययन का विषय होगा। बता दें, अमेरिका ने भी चंद्रमा पर पहुंचने के कई प्रयास किए, जिनमें से ज्यादातर इम्पेक्टर यानी यान के चंद्रमा की सतह पर गिर जाने तक ही सीमित रहे। मालूम हो, चंद्रयान-2 के तीन हिस्से थे। ऑर्बिटर, लैंडर “विक्रम” और रोवर “प्रज्ञान”। बीती 2 सितंबर को दोपहर पौने एक से पौने दो बजे के बीच लैंडर और रोवर को ऑर्बिटर से अलग किया गया था।