लंदन के ट्रांसपोर्ट मॉडल को भारत में लागू करना चाहते हैं गडकरी

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    नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भारत में लंदन के ट्रांसपोर्ट मॉडल को लागू करने के पक्ष में हैं। उनका मानना है कि लंदन मॉडल को लागू करने से पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता काफी बढ़ जाएगी। इसके लागू होने से देश भर में कम से कम 12-15 लाख नई बसों के ऑर्डर आएंगे। सैकड़ों नए रोजगार निकलेंगे। ईंधन की खपत भी कम होगी। ट्रांसपोर्ट की लागत कम होने से किराए में भी कमी आएगी।

    गुरुवार को सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (सियाम) की आम सभा में ऑटो इंडस्ट्रीज के दिग्गजों के समक्ष यह इच्छा जाहिर की। उन्होंने कहा कि देश में लंदन के ट्रांसपोर्ट मॉडल की सख्त जरूरत है। यह प्राइवेट-पब्लिक पार्टनरशिप मॉडल पर होगा।

    गडकरी ने कहा कि ऐसे मॉडल में ड्राइवर प्राइवेट कंपनी की होगी तो कंडक्टर कारपोरेशन का। किसी को पता भी नहीं लगेगा कि कौन किसका कर्मचारी हैं। लंदन मॉडल के तहत इलेक्ट्रिक बसें चलेंगी। इससे डीजल के मुकाबले बसों के परिचालन की लागत आधी हो जाएगी। लंदन में निजी कंपनियां और सरकारी एजेंसियां मिलकर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का संचालन करती है।

    गडकरी ने कहा कि लंदन मॉडल को लागू करने से देश भर के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की उपलब्धता बढ़ जाएगी। गडकरी ने ऑटोमोबाइल उद्यमियों से लंदन मॉडल को लागू करने में आगे आकर अपनी भूमिका निभाने के लिए कहा।

    गडकरी ने कहा कि सरकार पेट्रोल-डीजल की गाड़ियों को बैन नहीं करेगी, लेकिन सरकार हर साल 6-7 लाख करोड़ रुपए का क्रूड आयात करती है। उन्होंने कहा कि क्रूड का इतना अधिक आयात और प्रदूषण सरकार के लिए चिंता का विषय है। प्रदूषण में कुछ जिम्मेदारी ऑटो सेक्टर की भी हैं।

    ओला-उबर को करनी होंगी गाड़ियां हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक
    मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक प्रदूषण पर लगाम के लिए लंदन में आगामी 2020 तक उबर को अपनी सभी गाड़ियों को हाइब्रिड बनाने या इलेक्ट्रिक करने के लिए कहा गया है। उन्होंने बताया कि भारत में इस मॉडल का अनुसरण करते हुए ओला-उबर जैसे एग्रीगेटर को अपनी गाड़ियों को हाइब्रिड या इलेक्ट्रिक करने के लिए कहा जा सकता है।

    उन्होंने बताया कि एक बार में सारी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड करने के लिए नहीं कहा जाएगा। अगले तीन साल में उन्हें अपनी 25 फीसदी गाड़ियों को इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड करने के लिए कहा जा सकता है। हाइब्रिड की श्रेणी में कम से कम 80 किलोमीटर तक बिना पेट्रोल के चलने वाली गाड़ी ही शामिल होंगी।