धर्म विहीन व्यक्ति पशु के समान होता है: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर शनिवार को माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि संस्कार ही जीव को मानव बनाते हैं। व्यक्ति को संस्कार मां के गर्भ से मिलने शुरू हो जाते हैं। धर्म से विहीन व्यक्ति पशु के समान होता है।

जिस व्यक्ति के पास धर्म कर्म के लिए समय नहीं होता है, वह व्यक्ति पशु के समान जीवन जीता है। बच्चों को लौकिक गुण के रूप में शिक्षा दी जाती है, लेकिन शिक्षा के साथ संस्कारों की भी जरूरत है। यदि बुढापे में सुख शांति चाहिए तो बच्चों को अभी से आध्यात्मिक शिक्षा भी देना शुरू करो।

आर्यिका सुयोग्यनन्दिनी माताजी ने कहा कि साधु संन्तों के पास शिक्षा और संस्कार दोनों मिलत हैं। कषायांे में फंसे व्यक्ति के मन में धर्म का अंकुरण आसानी से नहीं हो सकता है। इन कषायों पर फर्टिलाइजर डालना पड़ता है।

कषायों के कारण से मन और मस्तिष्क बंजर हो जाते हैं। अपने चेतना प्रदेश में संस्कारों, धर्म और आध्यात्म का बीजारोपण करना होगा। इन बीजों से बनने वाले वृक्षसे सभी जीव छाया पाते हैं। चातुर्मास में चिन्तन को त्यागकर चिन्तन पाते हैं। पाप को त्यागकर पुण्य पाते हैं और अधर्म को छोड़कर धर्म को पाते हैं।