सिम निकले या IMEI नंबर बदले, ट्रेस होगा चोरी हुआ मोबाइल

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Phone thief stealing a woman

कोटा। मोबाइल फोन चोरी की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए केंद्र सरकार अगले महीने से नई तकनीक शुरू करने जा रही है। यदि फोन से सिम कार्ड निकाल लिया गया हो या फिर हैंडसेट की पहचान के लिए जारी किए जाने वाले यूनिक कोड आईएमईआई नंबर को बदल दिया गया हो, तब भी नई तकनीक से फोन को ट्रेस किया जाना संभव होगा।

यही नहीं, फोन के चोरी होते या गुम होते ही सभी तरह का डेटा और सर्विसेस बंद हो जाएंगी। यानी कि जिस भी शख्स ने फोन चोरी किया है, वह इसका इस्तेमाल नहीं कर सकेगा। दूर संचार विभाग ने सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स के साथ नई तकनीक तैयार की है। यह तकनीक अगस्त से शुरू होगी।

विभाग ने इसके लोकार्पण के लिए मंत्रालय से संपर्क किया था लेकिन संसद सत्र की वजह से इसे टाल दिया गया है। 26 जुलाई को सत्र के समापन के बाद इस तकनीक की लांचिंग की जा सकती है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय दूरसंचार नीति 2012 के तहत मोबाइल फोन की चोरियों को रोकने के लिए तकनीक विकसित करने का काम चल रहा था।

जुलाई 2017 में मोबाइल फोन ट्रैकिंग प्रोजेक्ट के तहत सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (सीईआईआर) शुरू किया गया। अब सीआईईआर के मातहत सभी हैंडसेट निर्माता कंपनियों द्वारा जारी होने वाले आईएमईआई नंबर और टेलीकाॅम कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले नेटवर्क एक प्लेटफार्म पर आ जाएंगे। यानी अब सीआईईआर सीधे मोबाइल फोन्स को नियंत्रित कर सकती है।

जैसे ही फोन चोरी होगा या गुम होगा तो उपभोक्ता टेलीकॉम ऑपरेटर को या सीधे दूरसंचार विभाग द्वारा जारी हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके हैंडसेट को ब्लॉक करवा सकेगा। पुलिस या जांच एजेंसी को यह अधिकार होगा कि वह सीआईईआर के डेटा का इस्तेमाल कर फोन को ट्रेस कर सके।

दूरसंचार विभाग ने महाराष्ट्र में इस तकनीक का सफल ट्रायल पूरा कर लिया है। अब केंद्र सरकार ने इस साल बजट में 15 करोड़ रुपए भी आवंटित किए हैं। नए सिस्टम से उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने में मदद मिलेगी। नए सिस्टम से टेलीकॉम कंपनियों को अपने डेटा को दूरसंचार विभाग से साझा करना होगा।

उन्हें अपने नेटवर्क को इस तरह अपडेट करना होगा कि सीआईईआर उसे एक्सेस कर ले। यही नहीं, कंपनियों को सिम कार्ड या फोन ब्लॉक करने के अधिकार भी सीआईईआर से साझा करना होगा। हालांकि विभाग का कहना है कि डेटा का दुरुपयोग रोकने के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। डेटा सिर्फ फोन ढूंढ़ने के काम में उपयोग किया जाएगा।