सरकार को 28 हजार करोड़ रु. लाभांश देगा आरबीआई

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मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) अपने पास पड़ी अतिरिक्त रकम में सरकार को तुरंत हिस्सेदारी नहीं देगा। हालांकि, सेंट्रल बैंक की ऑडिट कमिटी ने चालू वित्त वर्ष के सीमित आकलन के आधार पर सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये का अंतरिम लाभांश देना तय कर दिया है। इसकी घोषणा 18 फरवरी को होने वाली बोर्ड मीटिंग में कर दी जाएगी।

केंद्र सरकार आरबीआई के पास वर्षों से जमा हो रहे अतिरिक्त धन के एक हिस्से की मांग कर रही है। केंद्र इस हिस्से को ‘एक्सेस रिजर्व्स’ यानी जरूरत से ज्यादा भंडार कहता है। रिजर्व बैंक के पास कितना रिजर्व हो यानी उसका कैपिटल फ्रेमवर्क क्या हो, इस पर विचार के लिए पूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई है।

31 मार्च तक इस कमिटी की रिपोर्ट आने की उम्मीद है। सरकार की दलील है कि आरबीआई के पास अन्य देशों के सेंट्रल बैंकों के मुकाबले ज्यादा रिजर्व है। अंतरिम बजट के बाद आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा था कि सरकार आरबीआई से 28 हजार करोड़ रु. के लाभांश की उम्मीद करती है।

यह रकम पिछले वर्ष आरबीआई द्वारा दिए गए 40 हजोर करोड़ रु. के अलावा है। आरबीआई को लगता है कि बिमल जालान कमिटी की सिफारिश के बिना ही सरकार को 40 हजार करोड़ रु. देना उचित नहीं था। 5 फरवरी को कांग्रेस सांसद शैलजा कुमारी के सवाल के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पी. राधाकृष्णन ने बताया था कि सरकार ने आरबीआई से चालू वित्त वर्ष का अतिरिक्त भंडार सौंपने का आग्रह किया है।

उन्होंने कहा था कि सरकार ने आरबीआई ऐक्ट के सेक्शन 7 के तहत आग्रह नहीं किया था। यह सेक्शन सरकार को आरबीआई को निर्देश देने का अधिकार देता है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा था कि आरबीआई के पास 2016-17 और 2017-18 के क्रमशः 13,190 करोड़ रु. और 14,190 करोड़ रु. यानी कुल 27,380 करोड़ रु. पड़े हैं।

हालिया मौद्रिक नीति समीक्षा के ऐलान के बाद आरबीआई गवर्नर शशिकांत दास ने कहा था, ‘सरकार और आरबीआई के बीच कई मुद्दों पर बातचीत चल रही है और बहस-मुबाहिसों के बाद एक फैसला लिया गया है। आरबीआई का कोई भी फैसला सिद्धातों और अकाउंटिंग के नियमों पर आधारित होगा।’ दरअसल, उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार आरबीआई से फंड ट्रांसफर करने को कह रही है?