नई दिल्ली। गांव-गांव में बैंकिंग सुविधा देने वाले क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के कर्मचारियों को भी अब अन्य सरकारी बैंकों के कर्मचारियों की तरह पेंशन का लाभ मिलेगा। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस बारे में आदेश जारी कर दिया है। सरकार के इस फैसले से न सिर्फ इस समय काम करने वाले करीब 50 हजार कर्मचारियों को लाभ होगा बल्कि 1987 के बाद रिटायर हो चुके करीब 20 हजार कर्मचारियों को भी पेंशन पाने का विकल्प मिलेगा।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने lendennews-ee4f51.ingress-erytho.ewp.live को बताया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में काम करने वाले कर्मचारियों को भी बैंकों के कर्मचारी के समान पेंशन देने की मांग मान ली गई है। इससे संबंधित फाइल पर वित्त मंत्री अरुण जेटली का हस्ताक्षर हो चुका है। इसके बाद आदेश को राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) को भेज दिया गया है। अब नाबार्ड सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्ष के साथ बैठक कर इसे लागू करने के तौर-तरीकों पर विचार करेगा और इसे कार्यरूप देगा।
नाबार्ड ने 25 अक्तूबर को बुलायी बैठक
यूनाइटेड फोरम ऑफ आरआरबी यूनियन के प्रवक्ता शिवकरण द्विवेदी ने बताया कि सरकार के इस फैसले की प्रति नाबार्ड को मिल चुकी है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय से इस बारे में निर्देश मिलने के बाद नाबार्ड ने सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों की एक बैठक आगामी 25 अक्तूबर को बुलायी है। इस बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्रालय के बैंकिंग डिवीजन के अतिरिक्त सचिव करेंगे। संभवत: यह बैठक वीडियो कांफ्रेंस के जरिये होगी।
50 हजार कर्मचारियों को होगा फायदा
यूं तो इस समय ग्रामीण बैंक में करीब एक लाख कर्मचारी काम कर रहे हैं लेकिन इस आदेश के दायरे में वही कर्मचारी आएंगे, जिन्होंने 31 मार्च 2010 तक कार्य ग्रहण कर लिया हो। यही नहीं, वर्ष 1987 के बाद रिटायर हुए कर्मचारियों को भी पेंशन लेने का विकल्प मिलेगा ।
बशर्ते वह भविष्य निधि के मद में मिली राशि में से नियोक्ता का हिस्सा वापस कर दें। इस फार्मूले के मुताबिक करीब 50 हजार कर्मचारी और 20 हजार रिटायर हो चुके कर्मचारियों को लाभ होगा। इस समय देश भर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की करीब 23 हजार शाखाएं काम कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद प्रशस्त हुआ है मार्ग
सुप्रीम कोर्ट ने बीते 25 अप्रैल को सरकार को निर्देश दिया था कि वह तीन महीने के अंदर ग्रामीण बैंकों में काम करने वालों के लिए पेंशन व्यवस्था लागू करे। हालांकि, सरकार का कहना था कि ग्रामीण बैंक घाटे में हैं। इसलिए यह फैसला नहीं लिया जा सकता है।
लेकिन ग्रामीण बैंक कर्मचारी संगठनों का बढ़ता दबाव हो या सुप्रीम कोर्ट का आदेश, सरकार को यह फैसला लेना पड़ा है। उल्लेखनीय है कि दूसरे उद्योग में वर्ष 1993 से पेंशन सेवा शुरू की गई लेकिन ग्रामीण बैंक के कर्मचारियों को पेंशन तब भी नहीं दिया गया।
इसके बाद बैंक के कर्मचारियों ने जून 2003 को पेंशन लागू करने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। इस मामले में मार्च 2011 को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में फैसला देते हुए सरकार को पेंशन लागू करने के लिए कहा।
इसी तरह अगस्त 2012 में राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णय में कहा था कि ग्रामीण बैंकों की कर्मचारियों की पेंशन 90 दिन के अंदर लागू की जाए। लेकिन सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।