नई दिल्ली। भारत सरकार ने जीएसटी के माध्यम से पिछले साल नए अप्रत्यक्ष कर से कुल 7.41 लाख करोड़ रुपये के राजस्व की उगाही की और इस साल जीएसटी से कुल 13 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान है । डीसीबी बैंक के प्रमुख (खुदरा और एसएमई बैंकिंग) प्रवीण कुट्टी ने बताया कि पीछे मुड़कर देखें तो ‘एक देश-एक कर’ शासन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र के लिए आसान नहीं रहा है, जिन्हें नकदी और जीएसटी अनुपालन को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ा ।
हालांकि वह दौर अब पीछे छूट चुका है और इस साल जुलाई तक 48 लाख से एमएसएमईज उद्योग आधार मेमोरैंडम (यूएएम) के तहत पंजीकृत हो चुके हैं । इसके साल ही ‘मेक इन इंडिया’ पहल से वित्त वर्ष 2018-19 के जीएसटी संग्रह में एमएसएमई की हिस्सेदारी बढ़ी है ।
प्रवीण कुट्टी ने कहा कि जीएसटी के सकारात्मक पक्ष को देखें तो इससे करीब 17 तरह के करों और कई तरह के सेस की जगह एक कर के रूप में ली है तथा इसे फाइल करना भी आसान है। इससे एमएसएमई को अपने कार्यबल को अन्य संसाधनों जैसे व्यापार की उन्नति और विकास में लगाने का मौका मिला है ।
इसके अलावा पहले के एकांउटिंग में गलतियों की संभावना ज्यादा रहती थी, लेकिन नया कर डिजिटल प्रौद्योगिकी पर आधारित है, जिससे व्यापारिक दक्षता बढ़ी है । इससे ना सिर्फ कंपनियों को फायदा हुआ है, बल्कि उनके आपूर्तिकर्ता, वेंडर्स और ग्राहकों को भी फायदा हुआ है ।
कुट्टी ने कहा कि एकाउंटिंग में पारदर्शिता बढ़ने से स्थापित संस्थानों द्वारा वित्तीय भागीदारी में तेजी देखने को मिली है । अब एमएसएमई के लिए कर्ज लेने के कई विकल्प हैं और कम लागत के साथ वे पूंजी जुटा सकते हैं ।
उन्होंने कहा कि जीएसटी से एमएसएमई को एक फायदा यह हुआ है कि वे अब अपने राज्य से बाहर देश के किसी भी हिस्से में अपने कारोबार का विस्तार कर सकेत हैं । उद्योगों को अलग-अलग राज्यों की अलग-अलग कर प्रणाली से नहीं जूझना पड़ेगा । इस तरह से जीएसटी नए कारोबार और नौकरियों के अवसर पैदा कर रहा है ।