राजस्थान का पहला सीबीआरएन सेंटर कोटा में खुलेगा

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कोटा। अब न्यूक्लियर या बायोलॉजिकल अटैक जैसी आपदा से निपटने में भी कोटा सक्षम होगा। इसके लिए कोटा में प्रदेश का पहला सीबीआरएन (केमिकल बायोलॉजिकल रेडियोलॉजिकल व न्यूक्लियर) सेंटर खुलेगा। यह एक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल होगा, जहां इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए ट्रेंड टीम होगी। भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सीबीआरएन सेंटर के लिए कोटा का चयन किया है।

इसकी सबसे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि कोटा के नजदीक ही रावतभाटा में आरएपीपी साइट है, जहां परमाणु ऊर्जा से बिजली बनती है। इसके लिए केंद्र ने राज्य सरकार से कोटा में 2500 वर्ग मीटर जमीन की मांग की है। जमीन ऐसी जगह होनी चाहिए, जहां नजदीक ही ट्रोमा सेंटर व इमरजेंसी सुविधाएं हों।

इसके चलते नए अस्पताल के परिसर में यह जमीन चिह्नित की गई है। कोटा मेडिकल कॉलेज के स्तर पर इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन भी किया जा चुका है।

करीब 80 करोड़ लागत
सूत्रों ने बताया कि दुनिया में लगातार हो रहे जैविक या रासायनिक हमले को देखते हुए भारत सरकार ने देश के चुनिंदा साइट्स पर ऐसे सेंटर डवलप करने की योजना बनाई है। देश में कुछ जगहों पर ऐसे सेंटर चल भी रहे हैं। कोटा में भी इसी तर्ज पर सेंटर विकसित किया जाएगा।

इस सेंटर में कार्यरत टीम देश की उन सभी संस्थाओं से प्रशिक्षण प्राप्त होगी, जो इन क्षेत्रों में कार्यरत हैं। इस सेंटर पर करीब 80 करोड़ रुपए खर्च होंगे।  इसमें तमाम ऐसे उपकरण होंगे, जो इस तरह के हमलों में रेस्पोंस के वक्त चाहिए होते हैं। सेंटर का मुख्य उद्देश्य परमाणु हादसे, जैविक या रासायनिक हमलों में घायलों का मैनेजमेंट व इलाज करना होगा।

प्रिंसिपल ने बनाई कमेटी: राज्य सरकार से पत्र मिलने के साथ ही मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. गिरीश वर्मा ने रेडियोलॉजी विभाग की हैड डॉ. संगीता सक्सेना की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया है। इसमें रेडियोथैरेपी विभाग के डॉ. एसके डंगायच, रेडिएशन सेफ्टी ऑफिसर डॉ. मुरली राम, मेडिसिन विभाग के डॉ. मनोज सालूजा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हैड डॉ. अनिता ई चांद को शामिल किया गया है। यह कमेटी इस पूरे प्रोजेक्ट पर रिपोर्ट तैयार करेगी, जो राज्य सरकार के माध्यम से केंद्र को भेजी जाएगी।