सरकार की न्यूनतम पेंशन दो हजार करने की तैयारी

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नई दिल्ली। सरकार न्यूनतम पेंशन डबल करने जा रही है। इस बारे में श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर बुधवार को ईपीएफओ बोर्ड की बैठक में चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद सरकार 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले न्यूनतम पेंशन 1000 से बढ़ाकर 2000 रुपये कर सकती है।

सरकार के निर्देश बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने इस बारे में बाकायदा एक प्रस्तव तैयार किया है। इस प्रस्ताव में पेंशन बढ़ोत्तरी से कितने लोगों को फायदा होगा और सरकारी खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा इसके ताजा आंकड़े भी मुहैया कराए गए हैं।

ईपीएफओ की तरफ से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अगर सरकार न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का फैसला लेती है तो ईपीएफओ पर करीब 3000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। अधिकारियों की मानें तो रिटायरमेंट फंड बॉडी के पास इतना अतिरिक्त पैसा है कि न्यूनतम पेंशन डबल करने का बोझ उठाया जा सके।

पेंशन की रकम दोगुना करने के पीछे सरकार का मकसद पेंशन धारकों की सामाजिक सुरक्षा के दायरे को मजबूत करना है।  मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक इस बढ़त से इंप्लाई पेंशन स्कीम यानि ईपीएस के 40 लाख पेंशन धारकों को सीधा फायदा होगा। इसमें से 18 लाख लोगों को 1000 रुपये की न्यूनतम पेंशन मिलती है जबकि 22 लाख लोगों की पेंशन 1500 रुपये महीना है।

फिलहाल इस स्कीम के जरिये 60 लाख लोगों को पेंशन का फायदा मिल रहा है।  मोदी सरकार ने सत्ता संभालते ही साल 2014 में न्यूनतम पेंशन की सीमा 1000 रुपये महीना करने को मंजूरी दी थी। इस स्कीम को शुरुआत में 1 साल के लिए लागू किया गया था लेकिन बाद में इसे अनिश्चितकाल के लिए बढ़ा दिया गया।

इस प्रक्रिया में शामिल लोगों का मानना है कि मासिक पेंशन में बढ़त के चलते सरकारी खजाने में करीब 1500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा।  आपको बता दें संसद की श्रम संबंधी स्टैंडिंग कमेटी ने भी अपनी ताजा रिपोर्ट में सरकार से न्यूनतम पेंशन स्कीम के तहत हर महीने मिलने वाली 1000 रुपये की सीमा की समीक्षा करने को कहा है।

कमेटी का मानना है कि 1000 रुपये में आज के जमाने में पेंशन धारकों की मूलभूत आवश्कताओं की पूर्ति तक संभव नहीं है। ऐसे में इसे बढ़ाने की सख्त जरूरत है। वहीं, कर्मचारी संगठन भी लंबे समय न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 3000 रुपये करने की मांग कर रहे हैं।