नई दिल्ली। मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार की सुस्त शुरुआत हुई। RBI के फैसले से पहले बाजार में दबाव देखने को मिल रहा है। जिससे सेंसेक्स 18 अंक की बढ़त के साथ 35,029 के स्तर पर खुला। वहीं निफ्टी 2 अंक बढ़कर 10,631 के स्तर पर ओपन हुआ। ऑटो, मेटल और रियल्टी शेयरों में कमजोरी से शुरुआती कारोबार में बाजार टूट गया, जिससे सेंसेक्स 50 अंकों से ज्यादा गिर गया। जबकि निफ्टी 10600 के करीब पहुंच गया है। लार्जकैप के साथ मिडकैप शेयरों में भी कमजोरी दिख रही है।
मिडकैप, स्मॉलकैप शेयरों में दबाव
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी दबाव देखने को मिल रहा है। बीएसई का मिडकैप इंडेक्स 0.05 फीसदी गिरा है, जबकि निफ्टी के मिडकैप 100 इंडेक्स सपाट है। बीएसई का स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 0.64 फीसदी टूट गया है।
मिडकैप शेयरों में वक्रांगी, बायोकॉन, टाटा ग्लोबल, एनएलसी इंडिया, एमफैसिस, यूबीएल, क्रॉम्पटन, कमिंस इंडिया, सेंट्रल बैंक, कॉनकोर 1.14 से 4.87 फीसदी तक बढ़े। वहीं आरकॉम, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, अशोक लेलैंड, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस, जीएमआर इंफ्रा, हडको, एबीबी, हैवेल्स, बजाज होल्डिंग 3.81 से 1.42 फीसदी तक गिरे।
आईटी में तेजी, ऑटो-फार्मा-रियल्टी में कमजोरी
कारोबार के दौरान ऑटो, फार्मा, रियल्टी, एफएमसीजी इंडेक्स कमजोरी दिख रही है। हालांकि आईटी इंडेक्स में बढ़त के साथ कारोबार देखने को मिल रहा है। बैंक निफ्टी 0.4 फीसदी बढ़त के साथ 26,267.95 के स्तर पर कारोबार कर रहा है। निफ्टी आईटी इंडेक्स 0.22 फीसदी बढ़ा है। वहीं ऑटो इंडेक्स 0.31%, मेटल इंडेक्स 0.16%, फार्मा इंडेक्स 0.23% औऱ रियल्टी इंडेक्स 0.57% गिरा है।
निफ्टी में 10610-10585 का सपोर्ट
सिमी भौमिक डॉट कॉम की टेक्निकल एनालिस्ट सिमी भौमिक का कहना है कि डेली चार्ट पर निफ्टी में अभी और कमजोरी दिख रही है। बाजार में आगे करेक्शन देखने को मिल सकता है। निफ्टी में अब 10610-10585 का सपोर्ट एरिया है। इसके टूटने पर 10565-10545 का बड़ा सपोर्ट होगा। वहीं दूसरी ओर ऊपर में निफ्टी में 10645-10665 का सपोर्ट दिख रहा है। इस रेंज में रहने पर निफ्टी में रिकवरी दिख सकती है। लेकिन ऐसा नहीं होने पर बाजार में हाई से प्रॉफिट बुकिंग दिख सकता है।
शुगर सेक्टर को राहत पैकेज की संभावना से स्टॉक 7% बढ़े
गन्ना किसानों को बकाया भुगतान के लिए केंद्र सरकार करीब 80 अरब रुपए के पैकेज की घोषणा कर सकती है। यह पैकेज गन्ने पर 5.50 पैसे प्रति क्विंटल की वित्तीय मदद के अलावा होगा। इससे कारोबार के दौरान शुगर स्टॉक्स में तेजी देखने को मिली।