नई दिल्ली। 1.44 लाख से अधिक कंपनियां सरकार के पास अपने कर्मचारियों के प्रॉविडेंट फंड PF का पैसा जमा नहीं करा रहीं। इससे इन कंपनियों में काम करने वाले लाखों कर्मचारियों की सामाजिक सुरक्षा दांव पर है। कर्मचारियों का पीएफ रिटायरमेंट फंड होता है जो रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करता है। 20 या इससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को अपने कर्मचारियों का हर माह पीएफ काट कर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी EPFO के पास जमा कराना होता है।
1.44 लाख कंपनियों ने किया है डिफॉल्ट
EPFO के अप्रैल, 2018 तक के डाटा के अनुसार 1,44,571 कंपनियां डिफॉल्टर लिस्ट मे शामिल हैं। यानी इन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के पीएफ का पैसा काट कर ईपीएफओ के पास समय से नहीं जमा कराया है। ऐसी कंपनियों को डिफॉल्टर कहा जाता है। अप्रैल, 2018 तक ईपीएफओ के पास हर माह पीएफ का पैसा जमा कराने वाली कंपनियों की संख्या 4,58, 812 हैं।
कर्मचारियों के पीएफ का क्या होगा
EPFO डिफॉल्ट करने वाले कंपनियों से पीएफ का बकाया पैसा जमा कराने के लिए नोटिस भेजता है। इसके बावजूद अगर कंपनियां बकाया पैसा जमा नहीं कराती हैं तो ईपीएफओ पीएफ के पैसे की रिकवरी के लिए कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेता है। हालांकि कई बार इस प्रक्रिया में सालों का समय लग जाता है। कानूनी कार्रवाई के बावजूद कई बार ऐसा होता है कि ईपीएफओ कंपनियों से कर्मचारियों के पीएफ का पैसा रिकवर नहीं कर पाती हैं। इससे इन कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को पीएफ का नुकसान उठाना पड़ता है।
ऑनलाइन मॉनिटररिंग सिस्टम
ईपीएफओ ने कंपनियों के डिफॉल्ट की रियल टाइम मॉनिटरिंग करने के लिए ऑनलाइन सिस्टम बनाया है। इस सिस्टम पर हर माह कंपनियों की डिटेल अपडेट होती है कि उन्होंने तय समय पर पीएफ का पैसा जमा कराया है या नहीं। ईपीएफओ इसके आधार पर डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों में निरीक्षण कराता है और उनसे पीएफ के पैसे की रिकवरी करता है। इस सिस्टम के बावजूद कंपनियां डिफॉल्ट करती हैं।