जयपुर। राजस्थान में कर्ज में डूबे किसानों को कर्जमाफी का प्रमाणपत्र 26 मई से बांटा जाएगा। यह घोषणा सीएम वसुंधरा राजे ने बुधवार को समीक्षा बैठक के बाद की। हैरानी की बात यह है कि कर्जमाफी का अपना वादा पूरा करने के लिए वसुंधरा सरकार ने 5,000 करोड़ रुपये लोन लेने का फैसला लिया है।
यह लोन सहकारिता विभागों को लेने के लिए कहा गया है। लोन के लिए गारंटी प्रदेश सरकार लेगी। इस साल चुनाव को देखते हुए वसुंधरा राजे सरकारा का यह फैसला चुनावी रणनीति माना जा रहा है। इधर, सरकार की इस घोषणा के बाद खलबली मच गई है। सहकारिता विभाग के मंत्री अजय सिंह किलक का कहना है कि किसानों की कर्जमाफी के लिए सरकार अभी तैयार नहीं है।
सरकार को चाहिए 8,000 करोड़
वसुंधरा राजे ने अपने पिछले बजट भाषण में घोषणा की थी कि जिन किसानों पर 50,000 रुपये का वन टाइम लोन है, उसे सरकार माफ करेगी। उस समय कर्जमाफी के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट में प्रावधान रखा गया था। हालांकि, अब यह बजट बहुत बढ़ गया है। प्रदेश के ट्रेजरी विभाग की मानें तो 29 लाख किसानों की कर्जमाफी में सरकार को 8,000 करोड़ रुपये चाहिए।
सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने उन्हें यह आश्वासन दिया है कि जो 2,000 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए हैं, उसकी किश्त जल्द ही सरकार देगी। अब विभाग 5,000 करोड़ रुपये का कर्ज बैंक से लेने जा रहा है।
अब भी 1,000 करोड़ का नहीं हो पाया इंतजाम
सहकारिता विभाग दिन-रात काम करने में लगा है, इसके बावजूद विभाग के पास 1,000 करोड़ रुपये की कमी है। विभाग पर दबाव इस बात का और ज्यादा बढ़ गया है कि सीएम ने कर्जमाफी के लिए 26 और 28 मई को कैंप लगाए जाने की घोषणा कर दी है। ये कैंप्स ग्रामीण सेवा सहकारी समितियां लगाएंगी।
मंत्री बोले, बढ़ सकती हैं सरकार की मुसीबतें
मंत्री ने बताया कि शनिवार से आयोजित होने वाले कैंप में 17,000 किसानों को कर्जमाफी के प्रमाणपत्र दिए जाएंगे, जबकि रविवार के बाद सोमवार को 16,500 किसानों को फिर प्रमाणपत्र वितरित होंगे। उसके बाद 1 जून तक हर गांव स्तर पर ये कैंप लगाए जाएंगे। उनका यह भी कहना है कि सरकार अभी तैयार नहीं है। किसानों को जो कर्जमाफी के प्रमाणपत्र दिए जा रहे हैं, उससे उन लोगों की मुसीबतें बढ़ सकती हैं।