पडोसी देशों में पेट्रोल सस्ता, तो भारत में क्यों नहीं

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दिनेश माहेश्वरी , नई दिल्ली/कोटा । भारत के मुकाबले पडोसी देशों में पेट्रोल सस्ता है, जबकि पडोसी देशों को भी आयात करना पड़ता है। यह सरकार का जनता के साथ धोखा है। पडोसी देशों की तरह भारत सरकार क्यों नहीं कर सकती यह प्रयास।  पिछले नौ दिन से पेट्रोल 2.24 रुपए और डीजल 2.15 रुपए महंगा हुआ है।

सरकार पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाना नहीं चाहती है। क्योंकि सरकार चाहती तो जनता को इसका लाभ दे सकती है। दिल्ली में मंगलवार को डीजल का दाम 30 पैसे की बढ़ोतरी के साथ 68 रुपए प्रति लीटर के पार पहुंच गया। वहीं, पेट्रोल में 30 पैसे की तेजी रही और 76.87 रुपए प्रति लीटर बिका। देश में सबसे ज्यादा दाम मुंबई में हैं।

वित्त मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय से बातचीत की
– एक अफसर के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार तेजी ने सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। इसके लिए कदम उठाने होंगे। वित्त मंत्रालय ने पेट्रोलियम मंत्रालय के बातचीत चल रही है।
– अफसर ने बताया कि एक्साइज डयूटी में कटौती की संभावना से इनकार नहीं कर रहा हूं, लेकिन ये पर्याप्त नहीं होगा। इसके लिए और भी कदम उठाने होंगे। हालांकि, उन्होंने यह साफ नहीं किया कि क्या कदम उठाए जाएंगे। बता दें कि हर राज्य में वैट या स्थानीय सेल्स टैक्स की वजह से पेट्रोल-डीजल के दाम अलग-अलग हैं।
– बता दें कि कर्नाटक चुनाव से पहले 19 दिन तक पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया था। बता दें कि कर्नाटक में 12 मई को मतदान हुआ था।
शाह बोले- हम कीमते कम करने के लिए काम कर रहे
– भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, “सरकार पेट्रोल-डीजल की बढ़ती हुई कीमतों को गंभीरता से ले रही है। पेट्रोलियम मंत्री बुधवार को तेल कंपनियों के मालिकों के साथ मुलाकात करेंगे। हम कीमतों को कम करने के लिए उपाए निकाल रहे हैं।”
एक रुपए की कटौती पर 13,000 करोड़ का नुकसान
– पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज डयूटी में 1-1 रुपए की कटौती करने पर सरकार को 13,000 करोड़ रुपए का नुकसान होगा।
– नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के दौरान जब क्रूड ऑयल के दाम घट रहे थे, सरकार ने 9 बार में पेट्रोल पर 11.77रु. और डीजल पर 13.47 रु. एक्साइज बढ़ाई थी। क्रूड महंगा होने पर सिर्फ एक बार, अक्टूबर 2017 में ड्यूटी 2 रु. प्रति लीटर घटाई।

कीमतों में बढ़ोतरी की 5 वजह
1) पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) ने पिछले दिनों प्रोडक्शन घटाया है जिससे मांग बढ़ी है और तेल के दामों में इजाफा हुआ है।
2) अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल के बेंचमार्क रेट 84.97 डॉलर प्रति बैरल हो गए हैं। 24 अप्रैल को ये 74.84 डॉलर प्रति बैरल थे।
3) पिछले हफ्ते क्रूड का भाव 80 डॉलर प्रति बैरल पहुंचा। नवंबर 2014 के बाद पहली बार दाम इस स्तर पर पहुंचे हैं।
4) कर्नाटक चुनाव से पहले दाम स्थिर रखने से तेल कंपनियों को 500 करोड़ के घाटे का अनुमान है। ऐसे में नुकसान की भरपाई के लिए कंपनियां लगातार कीमतें बढ़ा रही हैं।
5) डॉलर के मुकाबले रुपया 68 के पार पहुंच गया है, जिससे तेल का इंपोर्ट महंगा हुआ है। भारत अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा क्रूड इंपोर्ट करता है।

पड़ोसी देशों के मुकाबले भारत में सबसे ज्यादा दाम

देश       पेट्रोल (रु./लीटर)  डीजल (रु./लीटर)
श्रीलंका      63.91               47.07
पाकिस्तान  51.64               58.15
बांग्लादेश  71.54                52.25
भूटान      57.02                54.45
नेपाल      67.64                54.37