नई दिल्ली। देश के कुछ हिस्सों में कैश की किल्लत के बीच सरकार और रिजर्व बैंक ने दावा किया है कि देश में कैश की कमी नहीं है। एटीएम में नोट न होने की समस्या अस्थायी और तकनीकी कारणों से है। लेकिन एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि मार्केट में जितना कैश का फ्लो होना चाहिए, उसमें 70,000 करोड़ रुपये की अब भी कमी है। यह राशि एटीएम से हर महीने निकलने वाले कैश की एक तिहाई है।
औसतन हर महीने देशभर के एटीएम से 2.10 लाख करोड़ रुपये निकाले जाते हैं। एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट बताती है कि कैश की कमी कई बातों पर निर्भर है। जैसे देश की नॉमिनल इकनॉमिक ग्रोथ क्या है, लोगों के पास कितना कैश है और डिजिटल ट्रांजैक्शन में कितनी बढ़त हुई।
माना जाता है कि जितनी नॉमिनल इकनॉमिक ग्रोथ रेट होती है, भारत जैसे मार्केट को उसके दोगुने लाख करोड़ रुपये की जरूरत होती है। मार्च 2018 में नॉमिनल जीडीपी ग्रोथ 9.8% रही। इस हिसाब से मार्च 2018 तक मार्केट में कैश की उपलब्धता करीब 19.4 लाख करोड़ रुपये होनी चाहिए थी, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि मार्केट में अब भी 70,000 करोड़ रुपये कम हैं।
यह है SBI रिसर्च रिपोर्ट का गणित
19.4 लाख करोड़ कैश मार्च में मार्केट में होना चाहिए था
17.5 लाख करोड़ नकद ही बाजारों में उपलब्ध रहा
1.9 लाख करोड़ का अंतर डिमांड-सप्लाई में
1.2 लाख करोड़ का डिजिटल ट्रांजैक्शन रहा
70,000 करोड़ की कमी ऐसे में दिखी मार्केट में
रिपोर्ट ने ये वजहें भी गिनाईं
15,291 अरब रुपये एटीएम से निकाले गए 2018 की दूसरी छमाही में, 12.2% ज्यादा है यह राशि पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 200 जैसे छोटे करंसी नोट ने 2000 के बड़े नोट की जगह एटीएम में ली। इससे एटीएम जल्दी खाली होने लगे, लेकिन तेजी से भरे नहीं गए।
बैंकों के दावों के उलट 80% ATM खाली
देश के सबसे बड़े बैंक SBI ने कहा कि बीते 24 घंटों में हमने अपने एटीएम में कैश की स्थिति सुधारी है। पंजाब नैशनल बैंक, केनरा बैंक और एक्सिस बैंक ने भी दावा किया है कि उनके एटीएम मशीनों में कैश की कमी कुछ ही इलाकों तक सीमित है। हम उससे निपटने का प्रयास कर रहे हैं।
एसबीआई ने कहा कि सामान्य तौर पर 92% एटीएम में कैश रहता है, लेकिन मंगलवार को यह आंकड़ा 85% पर आ गया। हालांकि जमीनी हकीकत बता रही है कि बुधवार को 80 फीसदी एटीएम ही काम कर रहे थे। मंगलवार को यह आंकड़ा 60 फीसदी ही था।