नई दिल्ली । सरकार नए इनडायरेक्ट टैक्स रेजीम के आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर का रखरखाव करने वाली जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को अपने स्वामित्व वाली कंपनी में तब्दील करने पर विचार कर रही है। एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि सरकार अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर ऐसा करेगी। फिलहाल जीएसटीएन में प्राइवेट फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि केंद्र और राज्य सरकारों की हिस्सेदारी 49 फीसदी है।
संभावनाओं पर विचार करेगी सरकार
सूत्रों के मुताबिक, फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने फाइनेंस सेक्रेटरी हसमुख अढिया से जीएसटीएन को सरकार की बहुलांश हिस्सेदारी वाली या 100 फीसदी सरकारी कंपनी में तब्दील करने की ‘संभावनाओं का परीक्षण’ करने के लिए कहा है। सरकार अब कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाने पर विचार कर रही है, क्योंकि टैक्स कलेक्शन में स्थायित्व और ई-वे बिल लागू होने के साथ पोर्टल पूरी तरह ऑपरेशनल हो गया है।
अभी प्राइवेट कंपनी के रूप में है जीएसटीएन
सूत्र ने कहा कि सरकार ने जीएसटीएन की 49 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखी है और ‘पर्याप्त लचीलापन और स्वायत्तता’ देने के लिए उसे प्राइवेट कंपनी बनाए रखा। इसका उद्देश्य जीएसटी लागू होने से पहले ‘आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर को समयबद्ध तरीके से लागू करना’ था।
गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (जीएसटी) को 1 जुलाई, 2017 को लागू किया गया था, जिसमें एक दर्जन से ज्यादा टैक्स मिल गए थे। सूत्र के मुताबिक, सरकार मानती है कि इसे महज डाटा एनालिटिक्स से टैक्स कलेक्ट करने की भूमिका से आगे मेजॉरिटी ओनर भी होना चाहिए।