नई दिल्ली। देश के 5 और राज्य आंध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल सिस्टम को 15 अप्रैल से लागू करने वाले हैं। अभी तक इंट्रा-स्टेट ई-वे बिल सिस्टम केवल कर्नाटक में लागू था। पूरे देश में ई-वे बिल सिस्टम 1 अप्रैल से लागू हो चुका है, जिसके तहत इंटर स्टेट और इंट्रा-स्टेट दो तरह के मॉडल हैं।
सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, इन राज्यों में ई-वे बिल सिस्टम शुरू होने से ट्रेड और इंडस्ट्री के मोर्चे पर आसानी होने की उम्मीद है। इन राज्यों के ट्रेड एंड इंडस्ट्री और ट्रान्सपोर्टर्स के लिए ई-वे बिल के तहत रजिस्ट्रेशन की प्रोसेस शुरू हो चुकी है। वे ई-वे बिल पोर्टल https://www.ewaybillgst.gov.in पर जाकर रजिस्ट्रेशन या इनरॉलमेंट करा सकते हैं।
अब तक 63 लाख से ज्यादा ई-वे बिल हुए जनरेट
बयान के मुताबिक, नया सिस्टम तेजी से अमल में आ रहा है और देश में अब तक 63 लाख से ज्यादा ई-वे बिल जनरेट हुए हैं। 1 अप्रैल को 2.59 लाख बिल जेनरेट हुए। उसके बाद दो दिन में यानी 2 अप्रैल को 6.5 लाख और 3 अप्रैल को 8.15 लाख बिल जेनरेट हुए।
क्या है ई-वे बिल सिस्टम?
ई-वे बिल पूरे तरह से ऑनलाइन सिस्टम है। इसमें 50 हजार रुपए से ज्यादा का सामान ट्रांसपोर्ट करने वाले ट्रांसपोर्टर को ऑनलाइन ई-वे बिल जेनरेट करना होता है। यह 1 से 15 दिन तक मान्य होगा। वैलेडिटी प्रोडक्ट ले जाने की दूरी के आधार पर तय होगा।
जैसे 100 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 1 दिन का ई-बिल बनेगा, जबकि 1,000 किलोमीटर से अधिक की दूरी के लिए 15 दिन का ई-बिल बनेगा। सरकार का दावा है कि ई-वे बिल सिस्टम से देश में एक जगह से दूसरी जगह सामान की आवाजाही बेहद आसान हो जाएगी। साथ ही चुंगी नाकों पर ट्रकों और गुड्स कैरियर व्हीकल की लाइन भी खत्म होगी।
किसे है बनाना?
ई-वे बिल 50 हजार रुपए से ज्यादा का सामान ले जाने वाले रजिस्टर्ड कारोबारी, डीलर्स और ट्रांसपोर्टर्स को जेनरेट करना होगा। ट्रांसपोर्टर्स अगर एक ही व्हीकल में एक से ज्यादा डीलर्स का स्टॉक लेकर जाता है तो उसे कन्सॉलिडेटेट ई-वे बिल बनाना होगा। 20 लाख से कम टर्नओवर वाले अनरजिस्टर्ड डीलर जो जीएसटी के पोर्टल पर रजिस्टर नहीं है, उन्हें भी 50 हजार से अधिक का माल अनरजिस्टर्ड डीलर को ट्रांसपोर्ट करते समय ई-वे बिल बनाना होगा।