सूचना अधिकारियों पर 3.21 करोड़ का जुर्माना

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जयपुर। सरकार के कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए 12 साल पहले लागू किए गए सूचना का अधिकार कानून की लोक सूचना अधिकारियों को परवाह नहीं है। लोक सूचना आयोग के पास 13 हजार से अधिक अपीलें लंबित पड़ी है। सूचना नहीं देने पर आयोग द्वारा लगाए जाने वाले जुर्माने के आदेश पर लोक सूचना अधिकारी गंभीरता नहीं बरत रहे हैं।

यही कारण है कि पिछले 8 साल में आयोग ने लोक सूचना अधिकारियों 3.21 करोड़ का जुर्माना लगाया है। आयोग की पिछले सालों की प्रगति रिपोर्ट देखने पर सामने आया कि लोक सूचना अधिकारियों ने इसमें से केवल 81 लाख रुपए ही जमा कराए हैं।

आयोग ने वर्ष 2015-16 में सर्वाधिक 89 लाख रुपए से अधिक का जुर्माना लोक सूचना अधिकारियों पर आरोपित किया था। इसमें से केवल 7 लाख रुपए ही जमा हो पाए। अगर कोई व्यक्ति किसी विभाग के लोक सूचना अधिकारी से सूचना मांगता है तो उसके आवेदन में कई तरह की खामियां बताकर उसे लौटा दिया जाता है या अधूरी सूचना भेज दी जाती है। 
2015-16 में 89 लाख का जुर्माना, उसमें सिर्फ सात लाख की वसूली

13 हजार अपीलें अभी भी लंबित
वर्ष 2015-16 में पहले से 14580 अपीलें लंबित चल रही थी। इस वर्ष 8013 अपीलें और आ गई। कुल 22593 हो गई। इस साल 9 हजार से अधिक अपीलों का निस्तारण कर दिया गया। इस कारण 13570 अपीलें लंबित पड़ी थी।

आरटीआई से घोटाले उजागर 
सरकार ने 12 साल पहले शासन के काम काज में पारदर्शिता एवं निष्पक्षता लाने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 लागू किया था। इसे लागू होने के बाद कई लोगो ने आरटीआई से सूचना मांगकर घोटाले एवं भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए हैं।

कब और किस पर लगता है जुर्माना
एडवोकेट संदीप कलवानिया का कहना है कि यदि लोक सूचना अधिकारी ने सूचना आवेदन लेने से मना किया हो, तय समयावधि में सूचना नहीं दी हो, जानबूझकर अधूरी, अशुद्ध या भ्रामक सूचना दी हो, सूचना आवेदन की विषय वस्तु को नष्ट कर दिया हो या सूचना उपलब्ध कराने में बाधा डाली हो तो सूचना आयोग को लोक सूचना अधिकारी पर शास्तियां (जुर्माना) आरोपित करने की शक्तियां प्रदान की गई है।