-दशहरा मेला व्यापार महासंघ की चेतावनी
कोटा । दशहरा मेला व्यापार महासंघ ने कहा है कि नीलामी पद्धति से दुकानों के आवंटन को गलत बताते हुए कहा कि नगर निगम प्रशासन इस कदम को वापस ले अन्यथा महासंघ अदालत का दरवाजा खटखटाएगा।
मंगलवार को पत्रकार वार्ता में महासंघ के अध्यक्ष सुनील वैष्णव ने बताया कि दशहरा मैदान को प्रगति मैदान बनाने का काम चल रहा है लेकिन कोटा की शान इस दशहरा मेला से नगर निगम अधिक से अधिक राजस्व कमाने का प्रयास कर रहा है जो कि इस मेले को मंहगा कर देगा।
पूर्व में कोटा मे उद्योग मेला लगता था , लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों के गलत निर्णय से नीलामी प्रकिया की गई और आज हालत है कि उद्योग मेला भरना बंद हो गया। वैष्णव ने बताया के पूर्व में आयुक्त शिवप्रसाद नकाते ने कहा था कि गई दीपावली के पश्चात कमेटी बना कर मेले के प्रारूप पर चर्चा की जाएगी।
दुर्भाग्य से 5 माह बाद भी कोई बैठक या चर्चा तक नहीं है। उन्होंने व्यापारियों पर दुकानों को शिकमी किराएदारों को देने के आरोप का खंडन करते हुए कहा कि नगर निगम पहले तो शिकमी दुकानदारों की परिभाषा बताए। 1 या 2 प्रतिशत शिकमी दुकानदार होते हैं। हमारे महासंघ में 350 से 400 दुकानदार है जिनमें से कोई शिकमी नहीं है।
वैष्णव ने बताया कि निगम प्रशासन तो सभी दुकानदारों को शिकमी बनाने के प्रयास में है। राष्ट्रीय मेले में दुकानदारों को सुविधा देना नगर निगम और न्यास का नैतिक दायित्व है। उनसे केवल राजस्व कमाना गलत हैं वैसे भी कई प्रकार टेक्स व्यापारियों से वसूल लिया जाता है। पहले भी डस्टबिन के नाम से 500- 500 रूपए वसूले गए और डस्टबिन भी नहीं दिया गया।
वैष्णव ने बताया कि पहले हम वार्ता करने का प्रयास करेंगे। वार्ता में बात नहीं बनी तो मेले का बहिष्कार किया जा सकता है। महासंघ ने व्यपारियों से शपथ पत्र भरवाने में भी गलत बातों पर हस्ताक्षर करा लिए जाते है। निगम की कार्यशाला में भी हमने विरोध दर्ज कराया था। महासंघ में मेले के 9 मार्केट है और 400 के लगभग सदस्य है।
कोटा व्यापार महासंघ का समर्थन
उन्होंने बताया कि पहले जन प्रतिनिधियां और पार्षदों के साथ बैठक की जाएगी। कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी ने भी हमारी बातों का समर्थन किया है। पूर्व पार्षद नरेंद्र बिरला को महासंघ का संरक्षक बनाया गया है। मंगलवार को महासंघ के पदाधिकारियों की बैठक भी आयोजित की गई।
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