इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) मुंबई का आदेश
कोटा। अब आवास किराया भत्ते (एचआरए) की प्राप्ति रसीद भरते समय आपको इसकी पुष्टि के लिए अलग से भी कागजात की जरूरत पड़ सकती है। हाल में ही इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) मुंबई ने अपने एक फैसले में इस संबंध में आदेश दिए हैं। एक करदाता ने यह कहते हुए 2.52 लाख रुपये के एचआरए का दावा किया कि वह अपनी माता को किराया देती है। जब उनसे इससे जुड़े संबंधित कागजात की मांग की गई वह कोई प्रमाण नहीं दे पाईं, जिससे वह मुकदमा हार गईं।
सीए मिलिंद का कहना है कि ‘एचआरए का दावा करते समय किसी व्यक्ति को दो शर्तें पूरी करनी चाहिए। पहली बात तो यह कि वास्तव में उसका जायदाद पर नियंत्रण है और दूसरी बात यह कि मकान मालिक वास्तव में किराया प्राप्त करता है। इसके लिए सुनिश्चित करें कि आपके पास नोटरी में बना लीव-ऐंड-लाइसेंस एग्रीमेंट है। इस बारे में सोसाइटी को सूचित किया जा सकता है।
इसके अलावा रकम के स्थानांतरण का रिकॉर्ड भी होना चाहिए, इसलिए जायदाद मालिक को रकम के भुगतान के लिए बैंकिंग माध्यम का इस्तेमाल करें। अगर आप नकद में भुगतान करते हैं तो एटीएम निकासी में यह दिखना चाहिए। जिस मामले का जिक्र किया गया है उसमें आय कर विभाग ने इस बात की भी जांच की कि बिजली और पानी बिल का भुगतान कौन करता है।
अगर आप अपने माता-पिता, जिनकी आय कर योग्य नहीं है, को किराये का भुगतान करते हैं तो उनके द्वारा कर दाखिल करना और किराये के तौर पर प्राप्त रकम का उल्लेख करना फायदेमंद होगा। जायदाद के रख-रखाव के तौर पर उन्हें 30 प्रतिशत रियायत मिलती है। किराया अधिक दिखाना समस्याएं खड़ी कर सकता है।हरेक साल कर विभाग दाखिल होने वाले आयकर रिटर्न में 3 प्रतिशत की जांच विभिन्न बातों जैसे एक निश्चित सीमा से अधिक आय, दाखिल में दिखाया गया बड़ा लेन-देन आदि के लिए करता है।