गड़बड़ियों पर अंकुश लगाने के लिए करें आरटीआई का इस्तेमाल

0
845

परिचर्चा : वर्तमान में एक प्रतिशत आबादी भी इस अधिकार का उपयोग नहीं कर रही, आरटीआई से सरकार व सरकारी तंत्र को जनता के प्रति जवाबदेह बनाएं

कोटा। मप्र के राज्य सूचना आयुक्त आत्मदीप ने कहा कि सूचना का अधिकार देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। सरकार और सरकारी तंत्र को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने और सार्वजनिक क्रियाकलाप में शुचिता व पारदर्शिता लाने के लिए हर नागरिक अपने इस अधिकार का अधिकाधिक उपयोग करें।

सोमवार को जार की जिला इकाई द्वारा रेडक्रॉस सोसायटी भवन में ‘हमारे लिये सूचना का अधिकार’ विषय पर परिचर्चा में मुंख्य अतिथि आत्मदीप ने पत्रकारों व नागरिकों से रूबरू होते हुए बताया कि सूचना के अधिकार ने जनता को इतनी ताकत दी कि जिस जानकारी को देने से संसद में सांसद को या विधानसभा में विधायक को इंकार नहीं किया जाता।

वह जानकारी देने से जनता को भी मना नहीं किया जा सकता। इसका उल्लंघन करने वाले अधिकारी या कर्मचारी को दंडित करने के लिए सूचना आयोग को इतनी अधिक और सिविल कोर्ट की शक्तियां प्राप्त है, जितनी अन्य किसी आयोग को नहीं है।

न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए
आरटीआई कार्यकर्ता ज्ञानचंद जैन व रविंद्र श्रीवास्तव के सवाल के जवाब में सूचना आयुक्त ने कहा कि न्यायिक व अर्द्ध न्यायिक निर्णयों के बारे में न्यायशास्त्र का सर्वमान्य सिद्धांत है कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए। फैसलों की भाषा इतनी सरल हो कि एक आम आदमी भी फैसले व उसके आधार को आसानी से समझ सके।

पत्रकार खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए, लोकसेवक अपने साथ हो रहे अन्याय के परिमार्जन के लिए व नागरिक अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए आरटीआई का उपयोग कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि देश के नागरिकों को सूचना का महत्वपूर्ण अधिकार दिलाने का श्रेय राजस्थान को है।

भीलवाड़ा जिले के एक गांव से शुरू हुए किसानों व मजदूरों के आंदोलन के देशव्यापी रूप ले लेने से अंततः केंद्र सरकार ने आरटीआई एक्ट लागू किया।

आयोग के फैसलों की पालना अनिवार्य
पत्रकार मनोहर पारीक ने सवाल उठाया कि राज्य आयोग के आदेश के बावजूद भी यूआईटी द्वारा वांछित जानकारी नहीं दी गई। इस पर सूचना आयुक्त ने कहा कि फैसले का पालन नहीं होने पर नागरिकों को आयोग को शिकायत करनी चाहिए। आयोग के आदेश का पालन करना सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी है।

आयोग द्वारा दंडित किए जाने के बाद भी लोक सूचना अधिकारी वांछित सूचना देने के लिए बाध्य है। डॉ.कर्नेश गोयल के सवाल के जवाब में सूचना आयुक्त ने कहा कि आरटीआई एक्ट में वहद स्वरूप में तथा व्यक्तिगत व प्रश्नात्मक जानकारी देने का प्रावधान नहीं है।

आरटीआई में जनहित या लोक क्रियाकलाप से जुडी सीमित व आवश्यक जानकारी ही मांगी जानी चाहिए, ताकि विभागों का नियमित कामकाज गैर आनुपातिक रूप से प्रभावित न हो। परिचर्चा की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार नरेश विजयवर्गीय ने की। जार जिला ईकाई अध्यक्ष हरिवल्लभ मेघवाल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया तथा रेडक्रॉस सोसायटी के महासचिव रिछपाल पारीक ने आभार जताया।