सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट झालावाड़ एयरपोर्ट पर आया संकट

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    सांकेतिक फोटो

    कोटा/ झालावाड़। सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट झालावाड़ एयरपोर्ट पर बड़ा संकट आ गया है। इस एयरपोर्ट के रनवे के विस्तार के लिए राज्य सरकार की ओर से भेजे गए 120.40 हैक्टेयर लैंड डायवर्जन (भूमि प्रत्यावर्तन) प्रस्ताव को केंद्र ने कड़ी आपत्तियों के साथ लौटा दिया है।

    झालावाड़ के कोलाना स्थित रनवे को 1700 से बढ़ाकर 3000 मीटर करने के लिए पीडब्ल्यूडी ने यह प्रस्ताव तैयार किया था। राज्य सरकार यहां बड़ा एयरपोर्ट शुरू करना चाहती है, जहां बोइंग जैसे विमान उतर पाए। इस प्रस्ताव पर 20 दिसंबर को दिल्ली में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की फॉरेस्ट एडवाइजरी कमेटी (एफएसी) की बैठक में विस्तार से चर्चा की गई।

    एफएसी की मीटिंग की रिपोर्ट में कई बिंदुओं पर सख्त ऐतराज जताया गया है। एफएसी ने पहला सवाल ही यह किया है कि राज्य सरकार यह स्पष्ट करे कि उसने वन भूमि को गैर वानिकी कार्य में यूज करने की सहमति क्यों और कैसे दी? जबकि प्रस्तावित जमीन मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से महज 5.6 किमी दूर है।

    सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के हिसाब से डेलिनियेशन (सीमा निर्धारण) नहीं होने तक 10 किमी ईको सेंसेटिव जोन माना जाना चाहिए, जो मुकंदरा पर भी प्रभावी होता है। क्योंकि यहां अभी तक स्थानीय वन विभाग ने डेलिनियेशन नहीं किया है। हालांकि एक्सपर्ट यह भी बताते हैं कि ईको सेंसेटिव जोन में ऐसी कई गतिविधियों में छूट दी जा सकती है, जिनसे प्रदूषण का खतरा नहीं होता। इस एयरपोर्ट को चुनाव से पहले शुरू करने की तैयारी है, लेकिन अब यह होता नहीं दिख रहा।

    पिछले माह कंसल्टेंट ने दी रिपोर्ट
    झालावाड़ एयरपोर्ट के लिए राज्य सरकार की ओर से नियुक्त कंसल्टेंट ने पिछले माह ही राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। कंसलटेंट संगीता एविएशन सर्विसेज प्रा. लि. ने 23 दिसंबर को दी रिपोर्ट में बताया है कि 169 करोड़ की लागत से यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का एयरपोर्ट बनाया जा सकेगा। इस पर एयरबस 380 जैसे बड़े विमान भी उतर पाएंगे। गौरतलब है कि इस काम के लिए झालावाड़ में पीडब्ल्यूडी के अलग से एक्सईएन तैनात है।

    एयर स्ट्रिप को दी जा सकती है छूट
    पूर्व में ली गई जमीन के मामले में अंतिम परमिशन नहीं दी गई थी। इसलिए फॉरेस्ट एक्ट में एफआईआर दर्ज की थी। उस मामले में अतिक्रमण मानते हुए जुर्माना भी वसूला गया था। हमने सारी स्थिति से मिनिस्ट्री को अवगत करा दिया था। मुकंदरा के ईको सेंसेटिव जोन की जहां तक बात है, उसमें कई गतिविधियों में छूट है और एयर स्ट्रिप के मामले में यह छूट दी जा सकती है।
    – आरसी ओगरा, डीसीएफ, वन विभाग, झालावाड़

    दोबारा भेजेंगे प्रस्ताव
    यह रूटीन प्रक्रिया है। एक बार में किसी भी प्रस्ताव पर सहमति नहीं होती। उनकी जो भी आपत्तियां हैं, उन्हें पूरा करके भिजवाएंगे। सारा काम गाइडलाइन के हिसाब से होगा।
    – आरके सोनी, एक्सईएन, एयरपोर्ट खंड, झालावाड़

    यह है आपत्तियां
    कमेटी ने लिखा कि इस एयरस्ट्रिप के लिए 9.71 हैक्टेयर वन भूमि पहले से गैरकानूनी ढंग से ली जा चुकी है। इसे लेकर 28 नवंबर, 2008 को संबंधित नाका प्रभारी की ओर से वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के तहत दोषी अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर (क्रमांक-19) दर्ज की गई थी। सरकार यह बताएं कि उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई?

    एफएसी का मानना है कि यूजर एजेंसी (पीडब्ल्यूडी) द्वारा टर्मिनल स्टेशन व सेफ्टी जोन के लिए चाही गई जमीन देश में इसी तरह की अन्य एयर स्ट्रिप से काफी ज्यादा है। इसका कोई संतोषप्रद जवाब भी नहीं दिया गया। इसलिए डीजीसीए की गाइडलाइन के हिसाब से यूजर एजेंसी लैंड यूज प्लान दोबारा पूरे विस्तार के साथ प्रस्तुत करें, जिसमें टर्मिनल स्टेशन भी शामिल किया जाए।

    इसके अलावा मुकंदरा के ईको सेंसेटिव जोन, आसपास की वाटर बॉडी आदि को लेकर भी आपत्तियां लगाई गई हैं और कहा गया है कि इन्हें लेकर स्थिति स्पष्ट हो। ईको सेंसेटिव जोन का निर्धारित शीघ्र करते हुए नोटिफिकेशन जारी किया जाए तथा आसपास की वाटर बॉडी की पर्याप्त सुरक्षा का मसला इसी प्रोजेक्ट में शामिल किया जाए।