नई दिल्ली। Wheat Price: गेहूं के दाम में ऊंचे स्तर पर थोड़ा-बहुत उतार-चढ़ाव देखा जा रहा है। किसानों तथा व्यापारियों-स्टॉकिस्टों के पास इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का सीमित स्टॉक बचा हुआ है, थोक मंडियों में इसकी आवक कम हो रही है जबकि मिलर्स-प्रोसेसर्स को समुचित मात्रा में इसकी आपूर्ति नहीं हो रही है।
हालांकि केन्द्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की बिक्री का साप्ताहिक ऑफर बढ़ाकर डेढ़ लाख टन कर दिया है जो दिसम्बर में एक लाख टन था मगर फिर भी यह मिलर्स- प्रोसेसर्स की मांग और जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
हाल ही में सरकार ने ओएमएसएस के अंतर्गत गेहूं की कुल आवंटित मात्रा को 25 लाख टन से बढ़ाकर 30 लाख टन निर्धारित किया है लेकिन घरेलू बाजार मूल्य पर इसका ज्यादा असर पड़ने में संदेह है। फरवरी में गेहूं का भाव आमतौर पर ऊंचा ही रहने की उम्मीद है।
यदि मार्च से अगैती नई फसल की कटाई-तैयारी तथा मंडियों में आवक शुरू हुई तो कीमतों में तेजी आंशिक रूप से थम सकती है। गेहूं का रकबा बढ़कर 324 लाख हेक्टेयर से ऊपर पहुंचा है जिससे इसके बेहतर उत्पादन की उम्मीद है। नए माल की जोरदार आवक अप्रैल में शुरू होगी और उसके बाद ही कीमतों पर कुछ दबाव पड़ने की उम्मीद की जा सकती है।
सरकार के पास स्टॉक कम है इसलिए आंतरिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वह अधिक से अधिक मात्रा में इसकी खरीद का प्रयास करेगी। सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों को इसके लिए आवश्यक तैयारी करने का निर्देश दिया जा चुका है।
इसमें उत्तर-प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार एवं गुजरात भी शामिल है। ज्ञात हो कि राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में गेहूं पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से ऊपर अतिरिक्त बोनस देने की घोषणा हुई है जिससे वहां सरकारी खरीद बढ़ सकती है। पंजाब-हरियाणा में खरीद सामान्य रहने की उम्मीद है मगर यूपी एवं बिहार की हालत अनिश्चित बनी रह सकती है।