जिनवाणी के रहस्यों को समझना ही सुख का मार्ग: आचार्य प्रज्ञा सागर

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कोटा। Secrets of jinvani: दिगम्बर जैन मंदिर विज्ञान नगर में आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि आत्मा सदा ज्ञान स्वभाव से युक्त है। समस्त बाहरी पदार्थ कर्म जनित है। ज्ञान पर अज्ञान के बादल छाये हुए हैं। वह ज्ञान को प्रगट नहीं होने देते। संतो के प्रवचन की हवा चलती रहेगी तो अज्ञान के बादल हट जायेगें और निर्मल ज्ञान प्रगट होगा।

इसके लिए जिनवाणी को प्रीति पूर्वक सुनने की आवश्यकता है। जिनवाणी के शब्दों के रहस्य को जो नहीं समझ पाते वे भटक जाते है एवं जो समझ जाते है वे सुखी होकर मंजिल पर पहुंच जाते हैं।

मंत्री पीके हरसोरा ने बताया कि प्रातःकाल शांतिधारा आशीष जैसवाल द्वारा की गई । शांतिधारा के मंत्रों का उच्चारण आचार्य श्री द्वारा किया गया। मंगलाचरण मनोज बाहुबली ने प्रस्तुत किया। चित्र अनावरण दीप प्रज्जवलन आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन एवं जिनवाणी विराजमान करने का सोभाग्य राजमल पाटोदी परिवार को मिला । सांयकाल आनन्द यात्रा एवं आरती का कार्यक्रम हुआ ।