तिलहनों के क्षेत्रफल में गिरावट, किन्तु गेहूं एवं दलहनों का रकबा बढ़ा

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नई दिल्ली। पिछले साल की तुलना में चालू वर्ष के दौरान रबी फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 637.49 लाख हेक्टेयर से 2.51 लाख हेक्टेयर सुधरकर 640 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है और फसलों की बिजाई लगभग समाप्त हो चुकी है। अगले महीने से विस्तारित रबी सीजन (जायद या ग्रीष्मकाल) की फसलों की बिजाई आरंभ हो जाएगी। साप्ताहिक आधार पर रबी फसलों के रकबे में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं हुई।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार रबी सीजन के सबसे प्रमुख खाद्यान्न गेहूं का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 315.63 लाख हेक्टेयर से 1.39 प्रतिशत बढ़कर इस बार 320 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। पिछले सप्ताह भी क्षेत्रफल का यही आंकड़ा दर्ज किया गया था जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि गेहूं की बोआई समाप्त हो चुकी है अब फसल प्रगति के विभिन्न चरण से गुजर रही है।

इसी तरह दलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 139.29 लाख हेक्टेयर से 2.40 लाख हेक्टेयर बढ़कर इस बार 141.69 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा जिसके लिए मुख्यत: चना के रकबे में हुई बढ़ोत्तरी को कारण माना जा रहा है।

चना का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 98.28 लाख हेक्टेयर हो गया जबकि मसूर का क्षेत्रफल 17.43 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया। कमजोर बाजार भाव के कारण मटर, उड़द एवं मूंग तथा कुलथी एवं खेसारी के बिजाई क्षेत्र में ज्यादा अंतर नहीं देखा गया।

मोटे अनाजों का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 54.63 लाख हेक्टेयर से कुछ फिसलकर इस बार 54.49 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। इसके तहत मक्का का बिजाई क्षेत्र 22.90 लाख हेक्टेयर तथा ज्वार का क्षेत्रफल 23.95 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया जबकि अन्य मोटे अनाजों-बाजरा तथा रागी की खेती सीमित क्षेत्रफल में हुई। जौ का रकबा पिछले साल के लगभग बराबर रहा।

तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 101.80 लाख हेक्टेयर से घटकर 97.62 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। इसके तहत खासकर सरसों के क्षेत्रफल में काफी गिरावट दर्ज की गई। कृषि मंत्रालय के मुताबिक गेहूं, धान (चावल), चना, सरसों एवं तिल जैसे महत्वपूर्ण कृषि उत्पादों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है।