- वैश्विक स्तर पर तिलहन में नरमी से घटेंगे दाम
- ब्रांडेड और गैर-ब्रांडेड दोनों तरह के खाद्य तेलों की कीमतें घटाएंगी कंपनियां
- रसोई बजट 1.5-2.0 फीसदी कम हो सकता है
मुंबई । घरेलू खाद्य तेल कंपनियां कीमतों में 15 फीसदी तक कटौती पर विचार कर रही हैं। वैश्विक स्तर पर कीमतें फिसलने और स्थानीय स्तर पर तिलहन के दाम कमजोर पड़ने से कंपनियां तत्काल प्रभाव से यह कदम उठाएंगी, जिसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा।
देसी खाद्य तेल कंपनियां (ब्रांडेड और गैर-ब्रांडेड दोनों) पहले उत्पादित तेल के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) पर छूट देने की सोच रही हैं। खुदरा विक्रेता भी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर कीमतों में कमी का लाभ उपभोक्ताओं को देंगे। हालांकि कीमतों में कटौती मौजूदा कीमतों के दीर्घ अवधि तक निचले स्तर तक बने रहने पर निर्भर करेगी।
खाद्य तेल के दाम 15 फीसदी कम हुए तो औसत भारतीय परिवारों का रसोई बजट 1.5-2.0 फीसदी कम हो सकता है। रसोई में होने वाले कुल खर्च में खाद्य तेल का योगदान 10 फीसदी तक होता है। खाद्य तेल और तिलहन की कीमतों में कमी के कई कारण हैं। इनमें उत्तरी और लैटिन अमेरिका में सोयाबीन की बंपर पैदावार, वैश्विक जैव-डीजल क्षेत्र से कमजोर मांग और भारत में तिलहन का अधिक उत्पादन शामिल हैं।
फॉर्च्यून ब्रांड के नाम से खाद्य तेल का उत्पादन करने वाली अदाणी विलमर लिमिटेड के मुख्य कार्याधिकारी अतुल चतुर्वेदी कहते हैं, ‘कच्चे माल की कीमतों में कमी का फायदा तत्काल ग्राहकों को दिया जाता है और मौजूदा स्थिति भी कुछ ऐसी ही है।’ हेल्दी ऐंड टेस्टी ब्रांड तेल का उत्पादन करने वाली कोलकाता की इमामी लिमिटेड ने तिलहन और कच्चा पाम तेल की कीमतों में कमी का लाभ उपभोक्ताओं को देने का फैसला किया है।
इमामी समूह के निदेशक आदित्य वी अग्रवाल कहते हैं, ‘हम अपने गुणवत्तापूर्ण और सस्ते उत्पाद से मध्यम/ उच्च मध्य वर्ग के लोगों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। बाजार की स्थिति और हमारे उपभोक्ताओं के हितों को देखते हुए हम दाम निर्धारित तय करते हैं।’ इस बीच बेंचमार्क कच्चे पाम तेल की कीमतें इस कैलेंडर वर्ष अब तक 18 फीसदी तक गिर चुकी हैं और इस वक्त इसका कारोबार 2669 एमवाईआर (मलेशियाई रिंगिट) पर हो रहा है।
जर्मनी के विश्लेषक थॉमस मील्के के अनुसार इस साल विश्व में अतिरिक्त 55 लाख टन सीपीओ उत्पादन हो सकता है। मलेशिया और इंडोनेशिया में सीपीओ उत्पादन क्रमश: 25.3 लाख और 30 लाख टन अतिरिक्त रह सकता है। एनसीडीईएक्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार एक्स-कांडला डिलिवरी के लिए पाम तेल की कीमतेंं 10 फीसदी कम होकर 518.80 रुपये प्रति 10 किलोग्राम रह गईं।
परिष्कृत तेल की कीमतें 10.81 फीसदी घटकर 553 रुपये प्रति 10 किलोग्राम रह गईं। हालांकि इंदौर में शोधित सोया तेल 14.17 फीसदी फिसलकर 625 रुपये प्रति 10 किलोग्राम रह गया। तिलहन कीमतें में भी तेल की तरह ही गिरावट देखी गई। सरसों बीज की कीमत 15 फीसदी घटकर 3767.50 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। अधिक सोयाबीन उत्पादन और मलेशिया और इंडोनेशिया में पाम तेल की जबरदस्त पैदावार की खबरों के बाद शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबीओटी) पर सोया तेल की कीमतों पर भी दबाव है।
मलेशिया इस साल से बी10 बायोडीजल का मिश्रण शुरू करना चाहता है। इस बीच सरकार ने सभी खाद्य तेलों का आधार आयात मूल्य कम कर दिया है। सबसे ज्यादा कमी पाम तेल के मामले में हुई है और इसे 22 डॉलर कम कर 725 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है जबकि कच्चा सोया तेल का आयात मूल्य 14 डॉलर कम होकर अप्रैल के दूसरे सप्ताह के लिए 770 डॉलर प्रति टन हो गया है।
सीपीओ और सोया तेल के आधार आयात मूल्य में यह 5वीं कटौती है। आधार आयात मूल्य हरेक पखवाड़े में तय होता है। सरकार ने अप्रैल-सितंबर अवधि के लिए सूर्यमुखी बीज पर सीमा शुल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है। अप्रैल-सितंबर में 10 लाख टन सूर्यमुखी बीज का आयात हो सकता है।