नई दिल्ली । किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए सरकार देश की एक हजार से अधिक कृषि मंडियों को हाई टेक बनाकर इन्हें ई-मंडी में तब्दील करेगी। कृषि सुधारों की दिशा में सरकार का यह एक बड़ा कदम है। इसकी तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है। जल्दी ही इसे कैबिनेट की मंजूरी मिलने की संभावना है।
आगामी वित्त वर्ष के आम बजट में इसकी घोषणा हो सकती है। मंडियों में कृषि उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए उसे इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों से लैस किया जा रहा है, ताकि किसानों को घर बैठे उनकी उपज के मूल्य का पता चल सके। इससे किसान मनमाफिक मूल्य होने पर अपनी उपज को बाजार में लाएगा। वे बाजार जाए बगैर भी सौदा घर बैठे कर सकेंगे।
ई-मंडी के तौर पर पहले चरण में 14 राज्यों की 585 मंडियों को लिया गया था, जिन्हें तीन चरणों में 31 मार्च 2017 तक पूरा कर दिया गया था। इनकी शुरुआत 14 अप्रैल 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ राज्यों की 21 मंडियों से की थी। वर्ष 2020 तक एक हजार से अधिक मंडियों को ई-मंडी में तब्दील करने की योजना है।
कुल 69 कृषि जिंसों में इलेक्ट्रॉनिक कांटें पर तौल शुरू हो गया है, जिसके नतीजे बहुत उत्साहजनक साबित हुए। इसी को देखते हुए सरकार ने देश की एक हजार से अधिक मंडियों को ई-मंडी में तब्दील किया जाएगा। दूसरे चरण में कारोबार के लिए कृषि जिंसों की संख्या को बढ़ाकर 100 किये जाने की संभावना है।
कृषि मंत्रालय में इस पर लगातार विचार-विमर्श हो रहा है। सूत्रों के मुताबिक इस संबंध में कैबिनेट नोट तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्दी ही मंजूरी मिलने की संभावना है। प्रत्येक ई-मंडी विकसित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पहले जहां सिर्फ 30 करोड़ की धनराशि आवंटित होती थी, उसे बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये किया गया है।
सूत्रों का कहना है कि इस राशि में और वृद्धि हो सकती है ताकि ऐसी मंडियां पूरी तरह संसाधनों से लैस हों। इसमें पूरे राज्य के लिए एक मंडी कानून होगा, जिसमें व्यापारियों को मिलने वाला एक लाइसेंस पूरे राज्य में लागू होगा।