नई दिल्ली। PMI: भारत के प्राइवेट सेक्टर का आउटपुट पिछले चार महीनों में सबसे तेज़ रफ्तार से बढ़ा है। एक सर्वे के शुरुआती आंकड़ों से पता चला है कि 2024 का अंत मजबूत डिमांड और रिकॉर्ड नौकरियों की ग्रोथ के साथ पॉजिटिव नोट पर हुआ है। यह ग्रोथ सर्विसेज और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बेहतर डिमांड की वजह से आई है।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने पिछली तिमाही में 5.4% की धीमी ग्रोथ दर्ज की, लेकिन घटती महंगाई के चलते प्राइवेट सेक्टर फर्म्स के बीच डिमांड बढ़ने की उम्मीद है, जिससे अगले साल के लिए आउटलुक बेहतर हो सकता है।
HSBC के दिसंबर फ्लैश इंडिया कंपोजिट परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) सोमवार को 60.7 पर पहुंच गया। यह आंकड़ा अगस्त के स्तर के बराबर है, जो पिछले महीने नवंबर में 58.6 पर था।
PMI का 50 का लेवल ग्रोथ और कंस्ट्रक्शन को अलग करता है। इस साल सिर्फ तीन महीनों को छोड़कर यह इंडेक्स 60 से ऊपर बना रहा, जो 2008 के बाद पहली बार इतनी मजबूत प्राइवेट सेक्टर ग्रोथ दिखाता है। HSBC की इकनॉमिस्ट इनिस लैम ने कहा, “दिसंबर में हेडलाइन मैन्युफैक्चरिंग PMI में छोटी बढ़त प्रोडक्शन, न्यू ऑर्डर्स और एम्प्लॉयमेंट में सुधार की वजह से हुई।”
उन्होंने यह भी बताया कि “नए घरेलू ऑर्डर्स में तेज़ी आई है, जो इकोनॉमी में ग्रोथ मोमेंटम को दर्शाती है।” खासतौर पर सर्विस सेक्टर की डिमांड में मजबूती दिखी, जिसका PMI 58.4 से बढ़कर 60.8 के चार महीने के हाई पर पहुंच गया। वहीं, मैन्युफैक्चरिंग इंडेक्स भी पिछले महीने के 56.5 से बढ़कर 57.4 पर पहुंचा।
सर्विस प्रोवाइडर्स की अगुवाई में सेल्स में बढ़ोतरी हुई, जिसमें नया बिजनेस सब-इंडेक्स जनवरी के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। इंटरनेशनल डिमांड में सुधार के कारण गुड्स और सर्विसेज दोनों की सेल्स में बढ़ोतरी हुई, जिसमें सर्विसेज की ग्रोथ गुड्स से तेज रही।
इससे 2025 के बिजनेस आउटलुक में सुधार हुआ और ओवरऑल ऑप्टिमिज्म पिछले साल सितंबर के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। इसके चलते कंपनियों ने नई हायरिंग को तेज कर दिया, जो 2005 के अंत में सर्वे शुरू होने के बाद से सबसे तेज है।
दिसंबर में दो महीनों की तेज महंगाई के बाद इन्फ्लेशनरी प्रेशर थोड़ा कम हुआ। हालांकि, कंपनियों ने फिर से सेलिंग प्राइसेस बढ़ाईं, लेकिन यह नवंबर के करीब 12 साल के हाई की तुलना में धीमी रही।
यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा के लिए राहत देगा, क्योंकि पिछले महीने कंज्यूमर इन्फ्लेशन उम्मीद से कम 5.48% पर रहा। रॉयटर्स के एक पोल के अनुसार, फरवरी 2025 में रेट कट की उम्मीद की जा रही है।