राजकोट। धनिया के एक महत्वपूर्ण उत्पादक प्रान्त गुजरात में इस मसाला फसल की खेती के प्रति किसानों का उत्साह एवं आकर्षण काफी घट गया है। बिजाई का सीजन तेजी से बीतता जा रहा है मगर क्षेत्रफल अभी गत वर्ष से बहुत पीछे है। मौसम की हालत भी पूरी तरह बिजाई के लिए अनुकूल नहीं है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गुजरात में धनिया का उत्पादन क्षेत्र फिलहाल 42 हजार हेक्टेयर के करीब ही पहुंचा है जो पिछले सीजन के बिजाई क्षेत्र 2.23 लाख हेक्टेयर से 1.81 लाख हेक्टेयर या 81.28 प्रतिशत कम है। हालांकि बिजाई की प्रक्रिया अभी जारी है मगर क्षेत्रफल के इस विशाल अंतर को पाटना आसान नहीं है क्योंकि बोआई का आदर्श समय अब सीमित रह गया है।
गुजरात में धनिया की सर्वाधिक बिजाई सौराष्ट्र संभाग में होती है। वहां पिछले सीजन के दौरान जनवरी के अंत तक धनिया का रकबा बढ़कर 2.19 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया था मगर इस वर्ष अभी तक 40 हजार हेक्टेयर से कुछ ऊपर पहुंचा है।
मध्य गुजरात में भी क्षेत्रफल 80 प्रतिशत पीछे चल रहा है जबकि उत्तरी गुजरात में बिजाई 62.50 प्रतिशत कम क्षेत्र में हुई है। कच्छ में भी बिजाई घटी है। वैसे इन इलाकों में धनिया की खेती सीमित क्षेत्रफल में होती है।
धनिया की घरेलू एवं निर्यात मांग सामान्य बताई जा रही है और कीमतों में भी भारी उतार-चढ़ाव का माहौल नहीं देखा जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात के किसान इस बार धनिया सहित मसाला फसलों के बजाए गेहूं एवं चना की बिजाई को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि इससे उन्हें बेहतर आमदनी प्राप्त होने की उम्मीद है।