Interest Rate: महंगाई ने घटाई ब्याज कम होने की उम्मीद, अब रीपो रेट में कटौती नहीं

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नई दिल्ली। Interest Rate: अक्टूबर के महंगाई दर के आंकड़ों ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दिसंबर में होने वाली बैठक के दौरान नीतिगत रीपो रेट में कटौती की संभावना खत्म कर दी है। वहीं अर्थशास्त्रियों ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि अगर घरेलू वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से कम नहीं हो जाती है तो वैश्विक अनिश्चितताओं को देखते हुए फरवरी में भी दर में कटौती को लेकर अनिश्चितता नजर आ रही है।

अक्टूबर में भारत की समग्र महंगाई दर 14 महीने के उच्च स्तर 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई और उसने मौद्रिक नीति समिति द्वारा तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा को पार कर दिया। अक्टूबर में महंगाई दर के आंकड़े सितंबर के 5.49 प्रतिशत से ऊपर हैं, जो मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 10.87 प्रतिशत रहने की वजह से हुआ है।

प्रमुख महंगाई दर (खाद्य और ईंधन की महंगाई को छोड़कर) कम बनी हुई है, हालांकि डॉनल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका द्वारा ज्यादा शुल्क लगाने से प्रमुख महंगाई पर भी असर पड़ सकता है। एचडीएफसी बैंक में प्रमुख अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘दिसंबर में दर में कटौती की संभावना खत्म हो गई है। फरवरी या अप्रैल में कटौती संभव है। इसका वक्त वैश्विक प्रगति, खासकर शुल्क से जुड़े फैसलों, रुपये की चाल और घरेलू महंगाई और बॉन्ड यील्ड पर निर्भर होगी।’

गुप्ता ने कहा, ‘वृद्धि में सुस्ती के संकेत के साथ अगर दूसरी छमाही में गति कमजोर बनी रहती है तो रिजर्व बैंक फरवरी में दर में कटौती पर विचार कर सकता है। बहरहाल अगर रिजर्व बैंक और देरी का विकल्प चुनता है तो यह फैसला वैश्विक वजहों से प्रभावित हो सकता है, जिसमें रुपये और बॉन्ड यील्ड पर असर शामिल है।’

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा था कि समग्र महंगाई घट रही है, लेकिन सितंबर और अक्टूबर में इसमें तेजी की संभावना है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि महंगाई दर ज्यादा होने की स्थिति में दर घटाना जोखिम भरा और समय से पहले कार्रवाई हो सकती है। अक्टूबर में मौद्रिक नीति की बैठक के बाद रुख बदलकर तटस्थ किया गया था, जिससे दिसंबर में दर में कटौती के अनुमान लगाए जा रहे थे।

बैंक ऑफ अमेरिका में हेड ऑफ इंडिया ऐंड आसियान इकनॉमिक रिसर्च, राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘हमने अपना परिदृश्य बदला है। अक्टूबर में महंगाई दर उम्मीद से ज्यादा रहने के कारण अब दिसंबर के बजाय फरवरी में दर में कटौती की संभावना जताई गई है। ’

येस बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा कि दिसंबर में दर में कटौती की संभावना शून्य है। उन्होंने कहा, ‘फरवरी में हम 50:50 संभावना देख रहे हैं, लेकिन कुछ निश्चित नहीं है। अप्रैल पर दांव लगाया जा सकता है।’ सितंबर और अक्टूबर में महंगाई दर बढ़ी हुई रही है, लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आगे चलकर महंगाई नीचे की ओर जाएगी, क्योंकि आधार का असर नजर आने लगेगा।

इसके साथ ही रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने इसके पहले कहा था कि घरेलू खुदरा महंगाई वित्त वर्ष 2026 में स्थाई रूप से 4 प्रतिशत पर रहने की उम्मीद है। सामान्य मॉनसून और आपूर्ति की स्थिर स्थिति के आधार पर रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2025 में महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

गुप्ता ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि नवंबर में महंगाई दर 5.5 प्रतिशत रहेगी और उसके बाद घटकर 5 प्रतिशत से नीचे आएगी और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में यह 4 से 4.5 प्रतिशत रह सकती है।’ बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि महंगाई, खासकर खाद्य महंगाई आधार के अनुकूल असर और अन्य वजहों के कारण नवंबर में घटनी शुरू होगी। इसकी वजह से आगे चलकर कुल मिलाकर महंगाई दर नीचे रह सकती है।

केंद्रीय बैंक की दर तय करने वाली समिति के लिए महंगाई दर प्रमुख मसला रहेगा, वहीं आर्थिक सुस्ती की संभावना एक और चिंता का विषय बन रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में अगर आर्थिक गति आगे और सुस्त होती है तो दर में कटौती करनी पड़ सकती है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘फरवरी में दर में कटौती की संभावना बन सकती है। आने वाले महीनों में हमें हर महीने खाद्य कीमतों की चाल पर नजर रखनी होगी और इसमें तेज गिरावट की जरूरत होगी। लेकिन अभी के हिसाब से तो दिसंबर में नीतिगत दर में कटौती की संभावना नहीं है।’ मौद्रिक नीति की समीक्षा के लिए 6 सदस्यों की समिति की बैठक 4 से 6 दिसंबर के बीच होनी है।