नई दिल्ली। देसी चना का बाजार लगातार तेजी से उछलता जा रहा है और त्यौहारी सीजन में खासकर बेसन वालों की जोरदार मांग निकलने से प्रमुख खपतकर्ता बाजार में इसका भाव बढ़कर 8000 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास पहुंच गया है। इसमें दिल्ली और जयपुर जैसे मार्केट भी शामिल हैं।
अगले कुछ सप्ताहों तक चना के दाम में तेजी-मजबूती का माहौल कायम रहने की संभावना है। व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मध्य अक्टूबर से ऑस्ट्रेलिया में चना की नई फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने वाली है।
यदि सरकार ने इसके शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को 31 अक्टूबर 2024 से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया तो ऑस्ट्रेलिया से इसका भारी आयात हो सकता और उसके बाद ही घरेलू बाजार भाव में कुछ नरमी आने की उम्मीद की जा सकती है।
यदि इस बीच सरकार अपने गोदामों से खुले बाजार में चना का स्टॉक उतारती है तब भी कीमतों पर कुछ असर पड़ सकता है। वस्तुतः चना बाजार का आगामी परिदृश्य केन्द्र सरकार के नीतिगत निर्णय पर निर्भर रहेगा।
इस वर्ष रबी मार्केटिंग सीजन के आरंभ से ही चना की कीमतों में तेजी का वातावरण बना हुआ है जबकि हाल के सप्ताह में इसमें और भी उछाल आया है।
घरेलू प्रभाव में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने पहले मई में चना को आयात शुल्क के दायरे से मुक्त कर दिया और फिर इस पर स्टॉक सीमा लागू कर दिया।
दिल्ली में चना का भाव मई के आरंभ में 6325-6350 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा था जो गत चार माह के दौरान क्रमिक रूप से 26-27 प्रतिशत बढ़ते हुए अब 7950-8075 रुपए प्रति क्विंटल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान का कहना है कि त्यौहारी मांग के कारण चना में भारी तेजी आई है मगर जब ऑस्ट्रेलिया से जोरदार आयात शुरू होगा तब कीमतों में नरमी आने लगेगी।
सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के कारण अन्य दलहनों का भाव काफी हद तक नियंत्रण में है। हालांकि सरकार ने चना का घरेलू उत्पादन 122.67 लाख टन से गिरकर 121.61 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है मगर वास्तविक उत्पादन इससे काफी कम हुआ है।