श्रावणी अमावस्या पर स्वर्ण झूले में विराजे प्रभु, दो बार हुए हिंडोला मनोरथ के दर्शन

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कोटा। शुद्ध अद्वैत प्रथम पीठ श्री बड़े मथुराधीश मंदिर पर श्रावणी अमावस्या पर रविवार को प्रभु सुनहरी झूले में विराजे। प्रभु निज तिबारी से बाहर आए और चौक में हिंडोला मनोरथ के दो बार दर्शन हुए। काष्ठ पर सोने की कलई वाले झूले में शयन में ठाकुर जी आकर्षक लग रहे थे। हरे बूटे वाली पिछवाई लगाई गई थी। चौक पर हरे पत्तों की सजावट की गई। मुख्य द्वार को हरे पत्तों के तोरण से सजाया गया। ठाकुर जी में सभी साज, वस्त्र, पिछवाई, खंड पाट, गादी, तकिया, ठाड़ा वस्त्र, पाग, पिछौड़ा सब हरे मलमल के थे।

प्रथम पीठ युवराज गोस्वामी मिलन बावा ने बताया कि आज श्री हरि अपने विरहकुल भक्त के विरह तप को कम करने के लिए मथुरा से व्रज निकुंज में हिंडोलना में झूलने आए थे। इसलिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि महाप्रभु ने विरह व्याकुल की रक्षा की और निसाधन बेसहारा जीवों की सेवा की जो प्रभु के अभाव में बहुत दुखी थे।

मिलन बावा ने बताया कि मंदिर पर 22 अगस्त तक हिंडोला महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। मनोरथ के दौरान प्रभु का आकर्षक भारी श्रृंगार किया जा रहा है। आकर्षक झूले में विराजमान कर पुष्टिमार्गीय परंपरा के अनुसार प्रभु के बाल स्वरुप को लाड़ लड़ाते हुए पलना दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंगलवार को दोज पर भी हिंडोला मनोरथ के दो बार दर्शन होंगे। प्रभु फूलों से सज्जित हिंडोले में विराजेंगे। इस दौरान शाम 5.30 बजे तथा 7 बजे मनोरथ के दर्शन होंगे।