आपको पायदान व टिशु पेपर समझने वालों की मित्रता से बचें: आदित्य सागर महाराज

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कोटा। चंद्र प्रभु दिगम्बर जैन समाज समिति की ओर से चातुर्मास के अवसर पर रविवार को जैन मंदिर रिद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में भक्तामर विधान का आयोजन किया गया। जिसमें मूलनायक चंद्र प्रभु भगवान की वेदी को चांदी से बनाने की आदित्य सागर मुनिराज द्वारा घोषणा की गई। श्रावक बंधुओं ने करीब 50 किलो चांदी दान दी। भक्तामर महामंडल विधान मे एक हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने पुण्य अर्जन किया।

इस अवसर पर आदित्य सागर मुनिराज ने अपने नीति प्रवचन में जीवन प्रबंधन में मित्रता पर विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा कि इस संसार में मित्रता केवल मिलनसार व्यक्ति की होती है। मित्रता भावकुता में नहीं भाव से करना चाहिए। जिसके भाव व स्वभाव खराब है, उसके मित्र नहीं है।

सबसे अच्छा मित्र गुरू होता है जो आपको भांति -भांति प्रकार से समझाता है और सही मार्ग पर ले जाता है। जो पीठ में छूरा घोप दे ऐसे दोस्त न अपनाओ । गुरूदेव ने दोस्ती पर नीति प्रवचन में कहा कि जिसने तुम्हारी मदद की है, उसके लिए मिट जाना और उसके काम अवश्य आना।

उन्होंने सच्चे दोस्त की पहचान बताते हुए कहा कि जो अहित से रोके, हित कार्य में लगाए और कठिन समय मे साथ दे, वही सच्चा मित्र है। जिन्दगी में रोनक तो दोस्तों से ही होती है। उन्होंने कहा कि सामने तो शहद हो और पीठ पीछे जहर हो जाए, ऐसे लोगो से बच के रहना। उन्होंने ऐसे लोगो से बचने की सलाह दी जो आपको टिशु पेपर या पायदान बनाते हों, ऐसे लोग दोस्ती न कर मात्र दोस्ती का दिखावा करते हैं।

उन्होंने सच्चे मित्र का उदाहरण देते हुए कहा कि सच्चा दोस्त मिश्री के भांति होता है, जिसे गटको, चाटो या थूकों वह तो मीठा ही रहता है। उन्होंने कहा कि फ्रेंडशिप बैण्ड वाले दोस्त नहीं बनते, दोस्त तो वह होते हैं जो आपके लिए दूसरों का बैण्ड बजाने को राजी रहे।

इस अवसर पर रिद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।