नई दिल्ली। भारत में इस साल कोविड-19 वैश्विक महामारी के पांच साल पूरे हो रहे हैं, मगर चीन और मलेशिया में फैली फ्लू जैसी एक अन्य बीमारी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है।
देश में आज एचएमपीवी के 5 नए मामले सामने आए। इनमें से 2 मामले कर्नाटक में, 2 तमिलनाडु में और 1 गुजरात में मिले हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने आश्वस्त किया है कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
खबरों में दावा किया गया है कि 1 मामला कोलकाता में भी सामने आया है, लेकिन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पीटीआई को बताया कि राज्य में अब तक एचएमपीवी का कोई मामला नहीं मिला है। सभी 5 मामलों में बच्चे संक्रमित पाए गए हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले 2001 में इस वायरस की पहचान हुई थी और यह तभी से पूरी दुनिया में फैल रहा है। इसका मतलब साफ है कि इस वायरस के वैश्विक महामारी में बदलने की संभावना कम है।
हाल में चीन में एचएमपीवी के प्रकोप के बाद भारत में भी इस वायरस के 5 मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक बयान में इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा नियमित निगरानी के दौरान कर्नाटक में 2 मामले सामने आए। दो महीने की एक बच्ची और आठ महीने के एक बच्चे में एचएमपीवी का संक्रमण पाया गया है।
बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है, जबकि बच्चे का उपचार बेंगलूरु बैपटिस्ट अस्पताल में चल रहा है। बृहत बेंगलूरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) के सूत्रों ने कहा कि दूसरे बच्चे को भी आज छुट्टी दी जा सकती है।
एचएमपीवी का एक अन्य मामला गुजरात के अहमदाबाद में सामने आया है। वहां दो महीने के एक बच्चे में एचएमपीवी का संक्रमण पाया गया है।अहमदाबाद नगर निगम के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी भाविन सोलंकी ने कहा कि मरीज में एचएमपीवी का पता 26 दिसंबर को ही चल गया था, लेकिन आज इसकी जानकारी मिली है क्योंकि निजी अस्पताल ने हमें इसकी सूचना देर से दी।
सरकारी बयानों के अनुसार, सभी मरीजों उनके परिवारों का कोई अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं है। सामान्य जुकाम की तरह एचएमपीवी एक वायरल श्वसन संबंधी संक्रमण है जो सभी उम्र के लोगों को हो सकता है। यह पैरामाइक्सोविरिडे परिवार से संबंधित है और ‘रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस’ (आरएसवी) से निकटता से संबंधित है।
एचएमपीवी खांसने या छींकने से निकलने वाली सांस की बूंदों के साथ-साथ दूषित सतहों को छूने या संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने से फैलता है। यह विशेष रूप से शिशुओं, बुजुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों में वायरस श्वसन संबंधी मामूली परेशानी से लेकर गंभीर जटिलता से जुड़ी बीमारियों तक का कारण माना जाता है। यह भारत समेत पूरी दुनिया में पाया जाता है और समशीतोष्ण क्षेत्रों में सर्दियों के उत्तरार्ध और वसंत की शुरुआत के दौरान चरम पर होता है। हालांकि कुछ क्षेत्रों में यह साल भर सक्रिय रहता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आईसीएमआर और इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलांस प्रोग्राम (आईडीएसपी) नेटवर्क के आंकड़ों के आधार पर कहा कि देश में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी अथवा गंभी श्वसन संबंधी बीमारी के मामलों में असामान्य रूप से वृद्धि नहीं देखी गई है। इससे पहले केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह चीन में श्वसन संबंधी संक्रामक बीमारी के तेजी से प्रसार पर करीब से नजर बनाए हुए है।
सरकार ने उस समय यह भी कहा था कि इस वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भारत के लिए कोई नया संक्रमण नहीं है। चीन के आधार पर अपने यहां स्थिति का आकलन करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले सप्ताह बुलाई संयुक्त निगरानी समूह की बैठक में कहा था कि सरकार हालात पर हर दृष्टिकोण से नजर रख रही है। बैठक में समूह ने एचएमपीवी की जांच के लिए प्रयोगशालाओं में वृद्धि किए जाने की सिफारिश की थी, ताकि पूरे साल इस संक्रमण के मामलों पर नजर रखी जा सके।
राज्यों ने जारी किए दिशानिर्देश संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा है कि एचएमपीवी मामलों की निगरानी शुरू कर दी गई है और हालात से निपटने के लिए इंतजाम किए जा रहे हैं।