केन्द्र सरकार ने प्रमाणित ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात की प्रक्रिया निर्धारित की
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने प्रमाणित (सर्टिफाइड) ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात की प्रक्रिया निर्धारित या अधिसूचित कर दी है। इसके तहत ऐसे उत्पादों के शिपमेंट के लिए ‘नेशनल प्रोग्राम फॉर ऑर्गेनिक प्रोडक्शन’ (एनपोप) के अंतर्गत अनिवार्य रूप से प्रमाण पत्र लेना आवश्यक बना दिया गया है। निर्यातकों को सक्षम प्राधिकरण से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होगा।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक सार्वजनिक सूचना में कहा गया है कि किसी उत्पादकों ऑर्गेनिक उत्पाद के रूप में निर्यात की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब उसके दस्तावेज के साथ एक ट्रांजेक्शन सर्टिफिकेट भी संलग्न हो।
यह सर्टिफिकेट नेशनल एक्री डिटेशन संस्था द्वारा नामित किसी सर्टिफिकेशन संस्था (एजेंसी) द्वारा जारी किया गया हो जो वाणिज्य मंत्रालय के एनपोप के अंतर्गत आने वाले उत्पादों के लिए मान्य होगा। भारत सरकार ने वर्ष 2030 तक ऑर्गेनिक खाद्य उत्पादों का सालाना निर्यात बढ़ाकर 2 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
डीजीएफटी की सार्वजनिक सूचना में कहा गया है कि इन उत्पादों के निर्यात को उसी हालत में सर्टिफाइड किया जाएगा जब उसका उत्पादन प्रसंस्करण, पैकिंग तथा लेबलिंग एनपोप में वर्णित मानकों के अनुरूप हुआ हो।
प्रमाणित ऑर्गेनिक उत्पादों के निर्यात के लिए प्रक्रिया अधिसूचित कर दी गई है और इसका पालन करना निर्यातकों के लिए आवश्यक होगा। एनपोप का यह संशोधित संस्करण 5 जनवरी से 180 दिनों तक के लिए प्रभावी रहेगा।
ध्यान देने की बात है कि ऑर्गेनिक चावल के बारे में कुल शिकायत मिलने के बाद वाणिज्य मंत्रालय के एक अन्य निकाय-कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा एनपोप के विनियमन को संशोधित किया गया
ताकि उसे ज्यादा से ज्यादा किसान-हितैषी बनाया जा सके और भारत को अधिक से अधिक मात्रा में ऑर्गेनिक खाद्य उत्पादों का निर्यात करने में सहायता मिल सके। इसमें तमाम खाद्य उत्पाद सम्मिलित हैं।