Soybean: सोयाबीन के क्षेत्रफल में इस बार अप्रत्याशित बढ़ोतरी की उम्मीद, जानिए क्यों

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इंदौर। Soybean sowing: खरीद सीजन की प्रमुख तिलहन फसल- सोयाबीन का थोक मंडी भाव 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान आमतौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास ही घूमता रहा है जिससे प्रतीत हो रहा था कि किसान इसकी खेती में चालू खरीफ सीजन के दौरान कम दिलचस्पी दिखाएंगे लेकिन उम्मीद के विपरीत इस तिलहन के क्षेत्रफल में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी देखी जा रही है।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 28 जून 2024 तक सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र उछलकर 33.66 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया जो वर्ष 2023 की इसी तिथि के बिजाई क्षेत्र 1.63 लाख हेक्टेयर से 32.03 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।

चालू खरीफ सीजन के लिए सोयाबीन का सामान्य औसत क्षेत्रफल 122.95 लाख हेक्टेयर आंका गया है जबकि इसके 25 प्रतिशत से अधिक भाग में बिजाई पूरी हो चुकी है। उद्योग समीक्षकों के अनुसार अर्जेन्टीना एवं ब्राजील से सस्ते सोयाबीन तेल का विशाल आयात जारी रहने से घरेलू प्रभाग में इस महत्वपूर्ण तिलहन का भाव ज्यादा ऊपर उठने में सफल नहीं हो रहा है।

इसके बावजूद इसकी खेती के प्रति किसानों में जबरदस्त उत्साह एवं आकर्षण देखा जा रहा है। क्योंकि एक तो दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश हो रही है और दूसरे, केन्द्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2023-24 के मुकाबले 6.3 प्रतिशत बढ़ाकर 2024-25 सीजन के लिए 4892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है।

सरकार पर इस बात के लिए भारी दबाव भी पड़ रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर दलहन-तिलहन की पर्याप्त खरीद सुनिश्चित करके सार्थकता को साबित करे। इससे किसानों को उम्मीद है कि उसे सोयाबीन की अगली फसल का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सकता है।

सोयाबीन के तीन शीर्ष उत्पादक राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान शामिल है। इसके अलावा कर्नाटक, गुजरात एवं छत्तीसगढ़ सहित कुछ अन्य प्रांतों में भी इसका उत्पादन होता है।

सरकारी अनुमान के अनुसार 2023-24 के सीजन में 126 लाख टन सोयाबीन का घरेलू उत्पादन हुआ। समीक्षकों का कहना है कि बिजाई क्षेत्र में हो रही जबरदस्त बढ़ोत्तरी को देखते हुए 2024-25 के मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में उत्पादन काफी बढ़ सकता है।