प्रो. वंदना शर्मा ने पेरिस में औषधीय पादपों से रोगों के उपचार पर अध्ययन रिपोर्ट पेश की

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कोटा। Traditional Medicine Ethnomedicine and Natural Therapy: राजकीय महाविद्यालय कोटा के वनस्पति विभाग की प्रोफेसर वंदना शर्मा ने पेरिस (फ़्रांस) में आयोजित ट्रेडिशनल मेडिसिन एथनोमेडिसिन एंड नेचुरल थेरेपी कांफ्रेंस में भाग लेकर शोध पत्र पढ़ा। प्रोफेसर शर्मा ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने शोध पत्र में हाड़ौती के आदिवासी क्षेत्रों के औषधीय पादपों का अध्ययन कर विभिन्न बीमारियों के उपचार में किस तरह इन महत्वपूर्ण पादपों का उपयोग किया जाता है, की विस्तृत जानकारी दी।

प्रो. शर्मा ने बताया न केवल हाड़ौती क्षेत्र में वरन संपूर्ण भारत के आदिवासी एवं जनजातीय क्षेत्रों में आज भी बीमारियों के उपचार में एथनोमेडिसिन पद्धति का प्रयोग होता है। प्रोफेसर शर्मा ने इन सभी महत्वपूर्ण औषधीय पादपों में उपस्थित जैव सक्रिय रसायन (द्वितीयक मेटाबॉलाइट्स) जो कि बीमारियों के उपचार के लिए उत्तरदायी होते हैं की भूमिका के बारे में विस्तृत रूप से बताया।

फार्मा कम्पनी द्वारा इन जैव सक्रिय योगिकों का निष्कर्षण करके दवाओं के फार्मूलेशन के लिए उपयोग मैं लाया जाता है। इस पद्वति से श्वसन संबंधित बीमारियां, कैंसर, डायबिटीज, एपिलेप्सी, पीलिया जैसे रोगों का उपचार संभव है।

वर्तमान में वनों के दोहन होने के कारण ये महत्वपूर्ण औषधीय पादप विलुप्त हो रहे हैं। एथनोमेडिसिन पद्धति को संरक्षित करने के लिए आवश्यक है इन महत्वपूर्ण औषधीय पादपों का डॉक्यूमेंटेशन एवं इन पादपों का प्राकृतिक आवास (इन-सी टू) एवं बाहर (एक्स- सी टू) संरक्षण की।