नई दिल्ली। Lok Sabha Speaker Election: देश के राजनीतिक इतिहास में जो न हुआ, अब वह होने जा रहा है। स्पीकर पद के लिए सत्ता पक्ष ओर विपक्ष की ओर से चेहरे फाइनल कर दिए गए हैं। दोनों उम्मीदवारों ओम बिरला और के. सुरेश ने अपने-अपने नामांकन दाखिल कर दिए हैं। 26 जून को इस पर फैसला हो जाएगा।
उससे पहले राहुल गांधी ने स्पीकर पद पर आम सहमति न बनने पर मोदी पर हमला बोला। राहुल ने कहा कि मोदी के कथनी और करनी में फर्क है। राजनाथ सिंह ने मल्लिकार्जुन खरगे को कॉल बैक नहीं कियाा है। पीएम मोदी कंस्ट्रक्टीव विपक्ष चाहते हैं लेकिन वो हमारे नेता का अपमान कर रहे हैं। इसके बाद राजनाथ सिंह का भी इसपर जवाब आ गया। उन्होंने कहा कि मेरी खरगे साहब से तीन बार बात हुई है।
राहुल गांधी ने मीडिया से बात करते हुए सीधे पीएम मोदी पर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि खरगे जी को राजनाथ सिंह का फोन आया था। राजनाथ सिंह ने खरगे से कहा कि आप हमारे स्पीकर को सपोर्ट कीजिए, सभी विपक्ष ने कहा था कि वो स्पीकर को सपोर्ट करेंगे, लेकिन डेप्युटी स्पीकर विपक्ष को मिलना चाहिए।
राजनाथ सिंह ने अभी तक खरगे को कॉल नहीं किया है। मोदी जी कह रहे थे कि कंस्ट्रक्टीव विपक्ष चाहते हैं लेकिन वो हमारे नेता का अपमान कर रहे हैं। राहुल ने आगे कहा कि बीजेपी ने हमसे समर्थन मांगा, मोदी जी कहते कुछ हैं और करते कुछ और हैं यही इनकी रणनीति है। पूरा देश जानता है कि पीएम के शब्दों का कोई मतलब नहीं है, सहयोग होने की बात करते हैं।
राहुल गांधी के कॉल बैक न करने की बात पर राजनाथ सिंह ने भी जवाब दिया। रक्षा मंत्री ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे वरिष्ठ नेता हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। कॉल बैक न करने के सवाल पर राजनाथ सिंह ने कहा कि मेरी कल से आज तक में खरगे जी से तीन बार फोन पर बात हो चुकी है।
चिराग को भरोसा
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि यह चुनाव किसी पार्टी के लिए नहीं है। अध्यक्ष का चुनाव सदन के लिए होता है। मुझे याद नहीं है कि आजादी के बाद अध्यक्ष पद के लिए कोई चुनाव हुआ था या नहीं। जिस तरह से विपक्ष ने शर्तें रखी हैं कि वे उपाध्यक्ष का पद चाहते हैं, वह सही नहीं है। अगर चुनाव भी होते हैं, तो यह निश्चित है कि ओम बिड़ला जीतेंगे।
विपक्ष सतर्क है: गौरव गोगोई
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि प्रधानमंत्री एक बात कहते हैं और कुछ और करते हैं, कल उन्होंने सर्वसम्मति के बारे में कहा था और आज वह उपाध्यक्ष का पद भी देने को तैयार नहीं हैं, इसलिए अगर वही अहंकार पहले की तरह बना रहता है, तो लोकतंत्र को बचाने और सदन की गरिमा को बचाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। इसलिए हमने सुरेश को अपने पक्ष से रखा है। यह देश को यह बताने की लड़ाई है कि विपक्ष जागरूक है, विपक्ष सतर्क है।